पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम्-काण्डम् १ (क्षेमकरणदास् त्रिवेदी).pdf/१४

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- अथर्ववेदभाष्यभूमिका। पर्याय २ मै मन्त्र १ से १८ तक, और अन्य पुस्तकों के कारण ११ सूक्त १ पर्याय २ में मन्त्र ३२ से ह तक प्राचुके हैं,अर्थात् इन मात्र के ७२ मन्त्र होकर सायण भाग्यमें एक पर्याय काण्ड १६के अन्त में सक्षम है। अन्य पुस्तकों में भर लिफ़िथ के अंगरेजी अनुवाद सहित ] यह पर्याय काएट १६ के अन्त में नहीं है, केवल काएद ११ में हो पाया है,यही पाठ हमने एक्ला है। यह पुनलॅन सायण पुस्तक में उस समय की पाठ प्रणाली के अनुसार दीखता है। इस बात को छोड़कर शेष मान संख्या अजमेर पुस्तक के तुल्य है। ५-सूक्त भेद ॥ सायण भाष्य में 15 सात सौ उनसठ] और अजमेर वैदिक यन्त्रालय की पुस्तक में ७३१ सूक्त है। यह एक्तों की अधिकता का विवरण नीचे दिलाया जाता है। मन्त्रों का वर्णन अपर हो चुका है। फाएड जिनमें सायण माय वैविक यन्त्रालय सायणभाष्य में भेद है की पुस्तक में सूक अधिक १ - २८ ६ फांद्ध ६-अनुवाक । सूत और मन्त्रों के अतिरिक, काण्डों का घिभाग अनुवाक और सूक्तों में है। परन्तु काण्डों में सूक्तों की गराना लगातार चली गयी है, इस से अनुवाको की गणना को यहां नहीं दिखाया, पुस्तक के भीतर अपने स्थान पर दिखाया है। ७-सायण भाष्य असंपूर्ण है। अथर्ववेदालंहिता, सायणाचार्य विरचित भाष्य सहित, गयर्ममेन्ट सेन्ट्रल कांडिपो,घंघई यझे सौज से पी दीखती है, इसके अतिरिता और कोई भाग्य