पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/११

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ra अथर्ववेदमाष्यभूमिका । अथर्ववेद संदिता भट्ट प्रार० रोथ साहिव श्रीर डविल्यू डी० छिन्नी Ffür Prosessors R. Roth and W. D. Whitney. Erff six K aftar Trir iš TSR ay & Eift åt Fitri est (Sed Page 10, Oritical Notes on Athar Ye Samhitn, with the Coinmuentary of Sayana charya, (overnment. Contral Book Depot, 13orabay; and page XIII, Griffith’s English Translation of the Atharva L0S DBDuDDD DDD D Duu Du D DD DD DBDDDD याप्य केवल गवर्नमेन्ट सेन्टल घुक २िपी घई की ओर से छपा है, वह भी अलंधर्श [लगभग आधे वेद का भाष्य] और केवल संस्छत में है और उसके DD DB Diu D BkT TDD DDD D DDD uguBD D uD फी देछ सकते हैं, सागान्य पुरुर्षों को उसका मिसन और समझना कठिन है। ४-अथर्व्वत्रेद विस्तार ॥ हमारे पास तीन अधच संहिता पुस्तक हैं, १-सायराभाष्य सहिद वंबई गवर्नमेन्ट मुद्रापित, १-पं० सेयकलाल कृष्णदास मुद्रापित, और ३-अलमेर पैदिक यन्मास्य मुद्रित । हम ने तीनी संदिताश्री की मिठाकर अध्ययन किया है। घिस्तार का विवरण अजमेर पुस्तक के अनुसार भन्भ पुस्तकों से मिक्षान करके आगे लिस्त्रा है ! अधर्ववट्ट (ये चिपुमाः परियन्ति’ ) इस मन्त्र से लेकर (पनाग्रुप तदश्विना फूत वर्ष’] इस भम्घ तक है। इख में २०वीस काएड, ७३६ सात सी इकतीसैं सक्त, और ५.९७७ पाँच सदक्ष नौ ली लतदत्तर मन्त्र, ई। यह गणना चामे भूमिका के अन्त में धर्मों में घर्शित है। उन्त तीन पुस्तकी वो मिलाने से मन्त्र संक्या में यह भेद (अ) पं० सेवकलाल के पुलक से मिलान । उत्त पुस्तक में मन्द अन्य दो पुस्तयों में मग्न भेद কাজে = 1 यत्ता १५। पर्याय १ । मन्त्र & 92- s = 8. “一弓 n 3! मय Eă 3= R 33 بہتح ኣ1 He as 2-2 --!ܕ · ሃ ! o २६ से २8=न्td Z R.-- ---Rية योग s مـمــــــE38