पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/१३

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अथर्ववेदभाष्यभूमिका । पर्याय २ में मन्त्र १ से १८ तक, और अन्य पुस्तकों के भाएड ११ सुप्त १ पर्याप २ में भन्त्र ३२ से ४६ तक आधुके हैं,अर्थात् इन १८मन्त्र के४६ मन्ध होकर धायण DD BDBDuDDm DBDBJDDDDBDBu DDB iBuBDDBDS DD g DuuDu DDDD DDD EBBD DD DD LED DD LuzS DD काएद ११ में ही आया है,यही पाठ हमने इक्ता है। यह पुनर्लेख सायरा पुस्तक में उस समय की पाठ प्रणाली के अनुसार वस्त्रता है। इस बात को छोढ़कर शेप मम्भ संख्या अजमेर पुस्तक के दुश्य है। ♛-सूतं भेद ॥ सायण भाष्य में ७५६ [सात सौ उनसठ] और अजमेर वैदिक यन्त्रालध पी पुस्तक में ७३१ धक हैं। यह २८ सूकी की अधिकता का विधरण नीचे दिग्गाथा ज्ञातर है। मन्हें का घर्णन ऊपर हो चुका है। फाह्यऽ निनमें सादg :मस्य वैश्फि थन्त्राशय सायणामाप्य में $ો રે में सूक की पुस्तक मैं खुल; कि 设 {、遂 荻。 Wt. *R የሄ 3o» 맹, S ፲፪ 8a ६९ ჯo 划 १३ ኳ፤ 线 १३ -حسگ- --سم2 سگ ६ फांद्ध ՀeՎ ጀ$$ Հe ६-अनुवाक श्रीर मन्थॆ कॆ अतिरिन्, फ़्एर्से का धिभाग अनुवाक और सूकों में है परन्द्धकाण्ढों में सूचों की गशन लगातार ssäpä d. LR Í ES'* भी गणना फी यdनहीं दिखाया, पुस्तक के भीतर अपने स्पान पर दिखाया है। a-सायण भTपथ घ्रसंपूर्ण 舍皆