पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/१४

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६५ अयर्यवेंदभाष्यभूमिका । DD DDD DDD SDDD DD D DD DD DBDBD D BDB uD DDD DDD इस प्रकार है-काण्ड १, २, ३, ४, ६, ७. मtख्त ६ तफ] ११, १७, १५, १६, २0 DBDB ED BBBuS DBD DuDBD DuuDuuDuuDuuDuD SSLD cSgAY SS0SS DS DSS १३,१४, १g, १६, २0 (सूक्ष् ३-१४३)1॥ r. ८-अथर्ववेद पुस्तकें और अपना भाष्य। qJSiDiDDD DDD Du DDu uuD GGLiu uDuuDuuDSDDDDu iiiS डिपों, घंवई.चार वेटन। चेष्टन १ तथा २ सन् १८६५, पैटन ३ तथा ४ सन् १८5श् ईसवी ! qYBgDDuDD DDD DDSDuDuD DuDuD D uBuBODDDD DDDDSLSDDSS सन् ६म६३{पत्थर कर छ्पा] ! SSYgDDDD DDDDDDSDDuB BDSDDDBuS uuuB LLLSDuDDD सन १९०१ ईस्वी। ४-अथर्चबेद संहिता, ग्रंग्रज्ञीं अनुवाद, भट्ट ग्रिफ्फ़थ साहिय कृत दी चेष्टच्चधेएन १ रहन् १८६५ वेष्टन २ सन् ६८s६ छै० ! इस भाष्य के घनाने में यह सच पुस्तकें और श्री सायणाचार्य छत ध्रुग्वेद और सामवेद भाष्य, श्री भ्रष्ट्रीधर फ्रव युक्र यठ्ठपेंद्र भाष्य, श्री मइयामन्द्र खरस्वत्री छत ऋग्वेद और यजुर्वेद भाष्य, पण्डित तुलसी श्रम छत सामवेद भाष्य,गास्क मुनि छत निघण्ठ्ठभीर निवती,और पाणिनेि मुनि कृत श्रष्टाध्यार्थी व्याकरण, सर राजा राधाकान्त देव वहादुर कृत शब्द कल्प दुम कोभ, और अन्य अन्य मुझे यहुत उपपेागी हुये हैं, इस लिये उन ग्रन्थ कर्ता महाशवों को मेरा दईिफ धन्यवाद है।