पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/१५

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प्रयर्ववेदभाष्धभूमिका। የነ ६-भावश्थफ टिप्पणी, संहिता पाठान्तर, अनुरूप धिपय और अन्य पेदों में मन्त्र'फr पता ४tदि पियरक्ष । eeSiBDD DuDDuBuDuDD DDSDBDS DDDS DDBS DDD S सहज पसे के लिये कारग्द्ध या एड के धिपथ आदि , और अथर्ववेद के अन्य पेय में भन्यों की सूची भी दिया है। - ९-ऋपि, देवता, लन्द। ऋयि वह महामा फएलाते हैं जिनी ने वेर्दो के सदम अर्थों को प्रकाशित uDBDB EYDBDSSLLL DDD 0L DELS DDDD DDD D uD DDD DD DDD DuDuD uDD DDD DL B LLLS SS DD DDD D DBDD S uDu DBD DDS DDD DB DDDD D DDBD DBD DDLD uDS देवता और छन्य लिझे हैं, उस प्रकार अथर्ववेद संविताओं में नहीं हैं। इस ने इस भाष्य में स्कों के शीर्षक पर देवता , छन्द और प्रकरण दिये हैं। ऋषियी 8 फा निश्चय भादों से सफा। १०-निवेदन ।। DDDSDuDuD uBD DS DBDD DDDD DDD DuuDu DDD BLL LODD DuD DuDu KK DDDS और धर्मछ धोकर पुनपार्थी पर्ने। भारतीय और अन्य देशीय धिद्वान भी वेदी क्षा अर्थ स्तोजने और प्रकाशित धरने में यद्धा परिश्रम उठा रहे हैं। मेरी भी संकल्प है कि अथर्षपेद का यथाशक्ति सरल, स्पष्ट, प्रामाणिक, और अल्पDD DB BD BD BDD D Di DDu BD DD DD DuDS DDD DDD BDD लाभ्पाय[वेद के अर्थ समझने और विचारने] में लाभ उठावे । और यदि Du uD D D DuDD DBD DB DBug DuDuD D DDDD DDD ती मैं अपना परिश्रम सफल समभूगा। धृ२ ग्रेंज, नयागा क्षेमकर (श्रद्धाष्ट्रयाड) जन्म,फार्तिक थका७ संघव१gu५ धिक्रमीय, भाद्र छाष्ण जन्माष्टमी १९६६ थिa {ता० ३ नवम्वर १८४म् ईस्वी.) f ጻ£ጿኛ ! जन्मएथाण, आम शाहपुर मद्धराक, सिा अर्शिीगढ़ I