पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/२

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शुक्ष रुळाचार ॥ नि:सन्देद श्रय पद समय है कि लय स्त्री पुरुष घर घर में वेर्दी का थर्थ जा DuuD DDD DD DDDL D DDDDD DDuD BD DDuD uu Y GuS DD BB DDuu DBu BDuDDBD uDBDBD D DD DDuD DuDBu uDu GGGGG S चिचार है कि वेर्दी का थथाशक्ति सरल, स्पष्ट ग्रामगिक, और वायु, DD DDD D DuS uiD DuD D DD DBDD DuDD D BDB DDlmu ug DDDD DDD uDuuDS DDuuDu DDD DDD D DDD D Du uu Du S uDuDDSDD DuDDD DDBuD DuDu DDD S uuuu u uDuDu SS आपर्वचेंद भाध्य । १- जिस भाष्य की इसमें दिनों से प्रत्रीक्षा हरणी थी, मिस चौथे प्रत वेद के स्वाध्याय फरने के लिये श्राप को अट्री तालसा लगी हुयी थी, ४ : निस के लिये घहुत से मश्र्यों के नाम से ग्राएक पत्री पूरित हैं, उस येद्र प DBBD D DD DuDuDuD DuDDDBD D DuD DBD Du DDD DDS DDD DDDS DDDS DDuDuDS Du DuDS DDD uBLuLS Lt uTTuJS DDBS DuD DDD DD DD D DD DuDD S LDu D uDL अथर्ववेद मूमिका भी है जिस में सायण भाष्य और अथर्ययेद पिस्तार श्nt उपयोगी विपर्यों का वर्णन हैं। घड़िया रम्यल अटपेजो पृष्ट ६०६ भूल्य १y : २-अथर्ववेद भाष्य, यnएड २-४सी प्रकार घहुत शीघ्र छग्धः! प्रकाशित होगा । मूख्य प्रथम धाग्झ् फै,लगभग टोगः । ३-अथर्ववेंद सम्पूर्ण-अथर्ववेद में ६० काण्ड हैं, कोई है कोई घड़ा। भाष्य भूरे एक एक काण्ड या छपसा है जिम्5 से उस फायथ का पूरा चिपय जान पड़े 1 प्रत्येक फायड फा मूल्य उसके विस्नार फें श्रद्धr होया। जो महाशय सनातन वेदविया के ममी अपने नाम पूरे भाष्य के लिये अन्ध छुपने से पूर्व श्राहकस्ची में लिस्तावेंगे, उनकी नियत मूल्य में से २श्रृं सैकड़ा छूट देकर पुस्तक छपने पर पी० पी० धारा,मेजी जाया फरेंगी। क्षेमकरणदास त्रिवेदी ।

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