|
|
अशुद्धिः |
शुद्धिः |
पृ. |
प.
|
र्श्वेण |
र्श्वेन |
६२३ |
७
|
र्श्वेण |
र्श्वेन |
६२४ |
८
|
अरो |
आरो |
६२४ |
१४
|
ष्टिं सु |
ष्टिं च सु |
६२७ |
४
|
वग्निना |
वह्निना |
६२७ |
२१
|
दीप्यनाने |
दीप्यमाने |
६३० |
२०
|
ज्वलानि |
ज्वलनानि |
६३२ |
१८
|
दर्शनै |
दशनै |
६३६ |
३०
|
सदंसा |
सदंष्ट्रा |
६३८ |
१२
|
कुट |
कूट |
६४० |
९
|
विनाशयेत् |
विवासयेत् |
६४१ |
११
|
पर्यन्यः |
पर्जन्यः |
६४१ |
१८
|
अकुर |
अङ्कुर |
६४३ |
१३
|
ग्नन्थ |
ग्रन्थ |
६४६ |
२८
|
यन्त्री |
यन्ती |
६४८ |
१६
|
स्वक्षीरं |
सक्षीरं |
६५२ |
१४
|
गन्तुं वध |
गन्तुकवध |
६६० |
१४
|
मक्षे |
गक्षे |
६६१ |
९
|
काष्टा |
कष्टा |
६६३ |
११
|
कृत्व |
कृत |
६६७ |
१०
|
मेति |
मेषि |
६७५ |
२४
|
केन |
कनेन |
६८१ |
११
|
मशी |
मसी |
६८५ |
२२
|
नीलीय |
निलीय |
६८८ |
८
|
कुयु |
कुर्यु |
६९७ |
१३
|
संज्ञै |
संज्ञ |
६९७ |
२६
|
वित्रर्णे |
त्रिवर्णे |
७०० |
२०
|
ल्कया |
ल्काया |
७०१ |
२
|
न्द्रष्टय |
न्द्रयष्टि |
७०३ |
२२
|
सुसमुप |
समुप |
७०४ |
२२
|
|
|
|
अशुद्धिः |
शुद्धिः |
पृ. |
प.
|
स्रोत्रसि |
स्रोतसि |
७०८ |
८
|
मासोद |
मांसोद |
७१२ |
२०
|
च वै |
वै |
७१३ |
२०
|
आनार्त्त |
अनार्त्त |
७१३ |
२५
|
पर्यन्य |
पर्जन्य |
७१४ |
२
|
ऽम्ब |
ऽम्बु |
७१५ |
१७
|
शनाः |
शना |
७१७ |
५
|
कृष्णाणी |
कृष्णानी |
७१८ |
२१
|
फलेऽपलं |
फले फलं |
७१९ |
५
|
गेहे काकी |
काको द्वारं |
|
द्वारि |
कट |
७२० |
९
|
संहताश्चव युज्यन्ते |
सदन्ताश्चैव जायन्ते |
७२० |
१०
|
युज्यन्ते |
जायन्ते |
७२० |
१०
|
मन्त्रिराज |
यद्राजानं |
७२० |
१४
|
विकृरूपा |
विकृतरूपा |
७२४ |
५
|
ऽवाका |
वाऽका |
७२५ |
१०
|
प्रकी |
प्रक्री |
७२७ |
२
|
र्याया |
र्याथा |
७२९ |
२८
|
त्यपु |
त्युप |
७२९ |
४
|
भिजु |
भिर्जु |
७३२ |
५
|
शान्तिं |
शान्तिः |
७३३ |
१२
|
जैण्टक |
जैणक |
७३७ |
१७
|
द्दवैकृ |
द्वैवकृ |
७४२ |
१८
|
ऋतुःस्वा- |
ऋतुःस्व- |
७४३ |
९
|
भावाद्रा |
भावा रा |
७४३ |
९
|
लोहिनम् |
लोहितम् |
७४३ |
१३
|
पुरःसं |
पुरसं |
७४५ |
२
|
भिमासै |
भिर्मासै |
७४६ |
२२
|
कानां |
काणां |
७४७ |
११
|
घृततेल |
घृततैल |
७४८ |
१५
|
|