|
|
नदीकूलान्भित्त्वा |
३५ |
८४
|
नद्याश्रयस्थितिरियं |
१५१ |
८५
|
नद्यो नीचतरा दुराप |
५७ |
४५
|
न ध्वानं कुरुषे |
४४ |
५२
|
न भवति मिथुनानां |
४२ |
३२
|
नभसि निरवलम्बे |
२२ |
१८६
|
नमाम्यहं महावीरं |
१४२ |
४
|
न म्लापितान्यखिल |
११ |
१००
|
नयनससि जनार्दनस्य |
८ |
७१
|
न यत्र गुणवत्पात्र |
१४८ |
६१
|
न लिखसि खुरैः क्षोणी |
४५ |
५८
|
न विना मधुमासेन |
६३ |
९२
|
न श्वेतांशुवदन्धकार |
९़़१ |
४७
|
नागवल्लीदलान्योक्तिः |
१०९ |
२१
|
नाधन्यानां निवासं |
८६ |
१२
|
नाभिषेको न संस्कारः |
२७ |
२४
|
नाभूवन्भुवि यस्य |
३३ |
६५
|
नाभ्यासो नभसः क्रमे |
२७ |
१९
|
नारङ्गिकुसुमकण्टो |
१३६ |
२२३
|
नारिकेल्युक्तयश्चापि |
१०९ |
१३
|
नार्घ्यन्ति रत्नानि |
८९ |
३४
|
नालस्यप्रसरो जडेष्वपि |
१२४ |
१३०
|
नालस्यप्रसरो जडेष्वपि |
१६ |
१२९
|
नालेनैव स्थित्वा |
६१ |
७४
|
नालेरीइ सरिच्छ |
१२८ |
१६५
|
नावज्ञया न वैदग्ध्यात् |
९४ |
१६
|
नास्य भारग्रहे शक्तिः |
४४ |
४५
|
नास्योच्छ्रायवती तनुः |
२८ |
२६
|
निखिलनाकिनिकाय |
७६ |
४
|
निगदितुं विधिनापि |
१४४ |
२३
|
निजकरनिकरसमृद्ध्या |
११ |
९८
|
निजकर्मकरणदक्षा |
१४५ |
३६
|
|
|
|
विषयाः |
पृ. |
श्लो.
|
नित्यनम्र सुपर्वेश |
९३ |
६
|
निदाघे दाघार्तः |
३७ |
९६
|
निद्रामुद्रितलोचनो |
३० |
४६
|
निमग्नः पङ्केऽस्मिन् |
३३ |
६७
|
निमीलनाय पद्मानां |
५ |
४१
|
निम्नं गच्छति निम्रगेव |
१६ |
१२८
|
निम्ब किं वहुनोक्तेन |
१३२ |
१९३
|
निरर्थकं जन्म गतं |
११ |
९३
|
निराचष्टे यष्टिं कुरवकतरो |
८३ |
६५
|
निरानन्दः कौन्दे मधुनि |
८३ |
६६
|
निर्गन्धं कुसुमं फलं |
१३२ |
१८९
|
निर्गुणोऽपि वरं वंशो |
१५० |
७२
|
निक्षेप्योष्णजले त्वचं |
१३८ |
२४०
|
निषेव्य सरितां वपुः |
९५ |
२१
|
निष्कन्दामरविन्दिनी- |
१५२ |
९६
|
निष्पेषोत्थमहाव्यथापर |
१३८ |
२३९
|
नीता कुम्भस्थलकठिनतां |
३१ |
५७
|
नीरसान्यपि रोचन्ते |
१३८ |
२३७
|
नीवारप्रसवान्नमुष्टि |
३१ |
५४
|
नीहाराकरसारसागर |
२० |
१६३
|
नैताः स्वयमुपभोक्ष्यसि |
२४ |
१९३
|
नैतास्ता मलयेन्द्र |
३८ |
५
|
नैषा वेगं मृदुतरतनुः |
१४६ |
४६
|
नो चारू चरणौ न |
६८ |
१३१
|
नो मन्ये दृढबन्धनात् |
३५ |
८३
|
नो मल्लीमयमीहते |
७९ |
३४
|
नौ श्च दुर्जनजिह्वा च |
१४७ |
५३
|
न्यग्रोधान्योक्तयस्तद्वत् |
१०९ |
१४
|
न्यग्रोधे फलशालिनि |
१२९ |
१७२
|
न्याय्यं यतमसः समूल |
७ |
५९
|
पइमुक्काहविवरतरु |
११४ |
५९
|
पक्वं चूतफलं भुक्त्वा |
६३ |
९०
|
|