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बकोट ब्रूमस्त्वां लघुनि |
६१ |
७८
|
बद्धस्त्वं ननु राघवेण |
९६ |
३१
|
बन्धनस्थो हि मातङ्गः |
१५२ |
९२
|
बाला तन्वी मृदुततरतनुः |
८० |
३७
|
बालाया नवसंगमे |
२७ |
२१
|
बाले तव कुचावेतौ |
१४४ |
२२
|
बिभ्राणे त्वयि भस्म |
१३ |
१०४
|
बीजैरङ्कुरितं जटाभिरुदितं |
७३ |
१६९
|
भग्गो सूरपयावो |
२१ |
१७३
|
भजध्वमेनं भो भव्याः |
१०८ |
३
|
भद्रात्मनो दुरधिरोहतनोः |
३६ |
८७
|
भद्राय मम वामेय |
९३ |
३
|
भद्रं सम महावीर |
८५ |
४
|
भरिऊण जलं जलया |
२१ |
१७२
|
भवति हृदयदहारी कोऽपि |
१२६ |
१४८
|
भव वारांनिधौ कुम्भ |
१०८ |
४
|
भाषासु भाषां मे दद्यात् |
२ |
११
|
भीमश्यामप्रतनुवदन |
१०४ |
९५
|
भीष्मग्रीष्मखरांशुतापम- |
११० |
३०
|
भुक्तानि यैस्तव फलानि |
११३ |
४९
|
भुक्तं खादुफलं कृतं च |
११२ |
४५
|
भूयः प्रयासपरिलभ्य |
१०४ |
९६
|
भूयो गर्जितमम्बुद |
२४ |
१९२
|
भूर्जः परोपकृ- |
१३९ |
२४२
|
भृङ्गाङ्गनाजनमनोहर |
५५ |
३१
|
भेकेन क्वणता सरोषपरुषं |
४७ |
६७
|
भेकैः कोटरशायिभिः |
२३ |
१८८
|
भो भोः करीन्द्र दिवसानि |
३३ |
७०
|
भो भो किमकाण्ड एव |
१४२ |
१२
|
भो लोकाः सुकृतोद्यता |
६८ |
१३४
|
भो लोका मम दूषणं |
१५ |
११८
|
भ्रमन्वनान्ते नवमञ्जरीषु |
७९ |
३०
|
भ्रमर भ्रमता दिगन्तराणि |
७९ |
३१
|
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विषयाः |
पृ. |
श्लो.
|
भ्रष्टं जन्मभुवस्ततोऽम्बुधि |
११६ |
|
भ्रष्टं नृपतिकिरीटात् |
८९ |
|
भ्रातः काञ्चनलेपगो |
१४८ |
|
भ्रातर्ग्राम्यकुविन्द कन्द |
१४७ |
|
भ्रातश्चातक कथय सखे |
७२ |
१
|
भ्रातः कस्त्वं तमाकू |
१३८ |
२
|
भ्रातः कीर कठोर |
६० |
|
भ्रातः कोकिल कुजितेन |
६५ |
११
|
भ्रातः कोकिल सर्वमेत- |
६५ |
११
|
भ्रातश्चन्दन किं ब्रवीमि |
११५ |
६
|
भ्रातः पञ्जरलावक |
१५२ |
८
|
भ्राम्यद्भृङ्ग मदावनम्र |
११२ |
४
|
मञ्जरीभिः पिकनिकरं |
११८ |
९
|
मञ्जुमुक्ताफलान्योक्तिः |
८६ |
१
|
मणिर्लुठति पादाग्रे |
८९ |
३
|
मत्तेभकुम्भनिर्भेद |
२६ |
१
|
मत्वात्मनो बन्धनिबन्धनानि |
१६ |
१२
|
मथितो लङ्घितो बद्धः |
९५ |
२
|
मदनमवलोक्य निष्फल |
८० |
३८
|
मधुकरगणश्चूतं |
८१ |
४९
|
मधुकर तव करनिकरैः |
७९ |
२६
|
मधुकर मा कुरु शोकं |
८२ |
५२
|
मधुसमयादतिपल्लवितः |
११८ |
९१
|
मन्ये मत्कुणशङ्कया |
७८ |
२०
|
मयूर तव माधुर्यं |
६९ |
१३६
|
मरौ नास्त्येव सलिलं |
१४२ |
१०
|
मलओस चन्दणचि |
११७ |
७७
|
मलयस्य महागिरे |
१०१ |
७६
|
मलोत्सर्गं गजेन्द्रस्य |
१५२ |
९०
|
महातरुर्वा भवति |
१२९ |
१७४
|
महितो सरेंहि पीओ |
१०० |
६६
|
महेशस्त्वां धत्ते शिरसि |
१३९ |
२४५
|
मा कलकण्ठकलध्वनि |
९४ |
१०५
|
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