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रयणाय रती रठ्ठियाण |
१०० |
६२
|
रयणायस्य न हुया |
१०० |
६१
|
रयणेहिं निरंतर |
१०१ |
७०
|
रवेरस्तं तेजः समुदयति |
१२५ |
१४२
|
रवेरेवोदयः श्लाघ्यः |
४ |
३६
|
रसालशिखरासीनाः |
६२ |
९३
|
रागो हि दोषपोपाय |
१३७ |
२३३
|
रात्रिर्गमिष्यति भवि- |
१४७ |
४८
|
रुचिमानुडुपरिवार |
८ |
७०
|
रुद्राङ्गं छगणानि पङ्कज- |
१०५ |
९८
|
रुद्वा स्वपल्लवैर्व्योम |
९२९ |
१७३
|
रुक्षं वपुर्न च विलो |
४२ |
३३
|
रूक्षस्यामधुरस्य |
६७ |
१२२
|
रूढस्य सिन्धुतटनुपगतस्य |
१४० |
२५१
|
रे कण्डकैर्निशित |
१३६ |
२२२
|
रे कारेल्लिहयासेचडियः |
१४१ |
२५६
|
रे कीर कैतव सुगीरिति |
६४ |
१०७
|
रे पक्षिन्नागतस्त्वं |
४८ |
७७
|
रे पद्माकर यावदस्ति |
१०३ |
८८
|
रे पद्मिनीजलरूहस्तव |
१२५ |
१३९
|
रे पद्मिनीदल तवात्र |
१२४ |
१४१
|
रे वालकोकिलकरीर |
६४ |
१०३
|
रे भ्रमरहितं- |
१२५ |
१४१
|
रे माकन्दमरन्दसुन्दर- |
१२१ |
१०६
|
रे मातङ्ग मदाम्वुडम्वर- |
३ |
४३
|
रे रङ्ग हेमकलया |
९२ |
५६
|
रे राजहंस किमिति |
५६ |
३६
|
रे रे काक वराक- |
६८ |
१३०
|
रे रे कोकिल मा भज |
६२ |
९५
|
रे रे चातक सावधान- |
७२ |
१६४
|
रे रे भेक गलद्विवेक |
४८ |
७५
|
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विषयाः |
पृ. |
श्लो.
|
रे रे सर्प विमुञ्च |
४६ |
६५
|
रे रे शिष्टवकोट |
६२ |
८३
|
रे लाङ्गलिकनिषद्या |
१४७ |
५२
|
रेवापयःकिसलयानि |
३३ |
७१
|
रोवावारिणि वारणेन |
३२ |
६३
|
रोमन्थमारचय |
४० |
२४
|
रोलम्वन्य चिराय |
१२६ |
१५२
|
रोलम्वैर्न विलम्वितं |
११२ |
४२
|
रोहणाचलशैलेषु |
८९ |
२३
|
लक्ष्मि त्वत्करुणाकटाक्ष |
१४ |
१०९
|
लक्ष्मीः सर्पति नीच |
१९ |
१३१
|
लक्ष्मीरात्मगृहोद्भवेति |
१६ |
१३३
|
लक्ष्मीर्यादोनितधेर्यादो |
१४ |
११३
|
लक्ष्मीसंपर्कजाताय |
११४ |
११३
|
लक्ष्म्यास्त्वं निलयो |
१०० |
५८
|
लच्छी धूया जा- |
१०० |
५९
|
लब्धं जन्म सह श्रिया |
१० |
८७
|
लहुओ विहु सेविज्ज |
१२७ |
१५९
|
लाङ्गूलचालनमधः |
३७ |
९५
|
लाटीतरोरनुपकारि |
१२७ |
१५८
|
वक्रग्रीवमुदीक्षसे |
४२ |
३४
|
वक्रां नैष तनूविवर्तन |
१४८ |
५९
|
वडविडवि किं न लज्जसि |
१२० |
१७६
|
वणिगधिपते किञ्चि- |
९० |
४५
|
वने वने सन्ति वनेचरा |
११० |
२८
|
वन्दामहे मलयमेव |
८८ |
२०
|
वन्यो हस्ती स्फटिकघटिते |
३१ |
५६
|
वपुःपरीणाहगुणेन |
८९ |
३०
|
वपुर्विषमसंस्थानं |
४१ |
२७
|
वयं स्मरामस्त्रिशला |
८६ |
५
|
वरतरुविघटनपटवः |
१०६ |
११०
|
|