पृष्ठम्:आर्यभटीयम्.djvu/115

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

श्लोकः २३ ] राशिद्वयस्य संवर्गे उपायान्तरम् ६३ न्यास:-5, 8. अनयोयोंग: 13. अस्य वर्ग: 169. गुणगुण्ययोर्वगौ। 25, 64, योग. 89. एतं योगावगद्विशोध्य शेषः 80, श्रप्रस्यार्धम् 40. एतत्? पञ्चाष्टकसंवर्ग:*। इति त्रयोविशं सूत्रम्। २३। [ राशिसंवर्गाद् राश्योरानयनम् | गुणगुण्ययोरानयनमार्ययाऽऽह'- द्विकृतिगुणात् संवर्गान् व्यन्तरवगंण संयुतान्मूलम् । अन्तरयुक्तं हीन तद्गुणकारद्वयं दलितम् ॥ २४ ॥ द्वयोर्वर्ग:* चत्वारि, तैर्गुणितात् संवर्गाद् द्वयोरन्तरवर्गेण च संयुक्ताद् यन्मूलं, तयोरन्तरेण एकत्र हीनम् ग्रन्यत्र युक्तम्,° श्रप्रधीँकृतं च गुणकारद्वयं भवति" गुणगुण्यात्मक'राशिद्वयं' भवति इत्यर्थ:' । उद्देशकः--- गुणौ ब्रूह्यन्तरं त्रीणि चत्वारिशद् वधस्तयोः । न्यासः-संवर्गः 40, द्विकृतिगुण: 160. द्वयोरन्तरम् 3. श्रप्रस्य वर्गोण 9, युतं 169. श्रप्रस्य मूलम्" 13. एतद् ग्रन्तरेण युक्तम् 16, हीनम् 10, द्वयमप्यधितम्' गुणद्वयम्'* 8, 5. इति चतुविशं सूत्रम् ।। २४ ।। 1. A. B. तत् for एतत्; D. E. om. एतत् 2. D. E. श्रप्रस्यार्ध पञ्चाष्टकसंवर्गः: 40 3. D. E. नयनमाह 4. A. B. C. af: 5. E. एकत्र युक्तमन्यत्र हीनं 6. A. B. C. Hapl. om. of TurąFT Tgi yaf 7. D. त्मको 8. A. B. C. om. ag 9. A. B. C. om. Fuqi: 10. E. एतन्मूलम् 11. D. E. Htatistiq 12. A. B. C. Hapl. om. "To