पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१५

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चतुर्वेदीकोष । १४ लिङ्ग को न छोड़े। विशेषण का यह नियम है कि वह विशेष्य के लिङ्ग के अनुसार हो जाता है, परन्तु कतिपय शब्द ऐसे हैं जिन का लिङ्ग नियत है । अजहा (स्त्री.) शकशिम्बी नामक औषध कवाछ । कपिकच्छुक । अजा. (स्त्री.) माया | त्रिगुण विशिष्ट प्रकृति | बकरी। अजागरः, (पुं. ) भृङ्गराज नामकी श्रोषधि । • भंगरा । ( त्रि. ) जागरण शून्य । श्रजाजी, (स्त्री.) काला जीरा । सफेद जीरा | श्रजाजीवः, (पुं. ) जिसकी जीविका बकरे बकरियों से हो । श्रजातककुद, (पुं.) बैलों की अवस्था विशेष । थोड़ी उमर का बैल । बच्छा। बछड़ा । अजातशत्रु, (पुं.) युधिष्ठिर | ये किसी से शत्रुता नहीं करते थे इस कारण इनका नाम अजातशत्रु पड़ा । श्रजातिः, (स्त्री.) अनुत्पत्ति कार्य कारण की अनुपपत्ति । (त्रि. ) जन्मरहित । अजादनी, ( स्त्री. ) वृक्षविशेष | जिसे बकरे खाते हैं । विचटी वृक्ष अजानि:, (पुं.) जिसकी स्त्री न हो । स्त्रीरहित । जानेयः, (पुं.) उत्तम घोड़ा। प्रभुभक्त घोड़ा (त्रि. ) निर्भय । निडर । श्रजापालः, (पुं.) बकरे पालनेवाला भेड़ि- हर । मेषपाल । श्रजाप्रिया, (स्त्री.) बदरी । वैर । अजिः, (पुं.) तेज प्रताप | प्रभुता । अजिन, (पुं. ) चमड़ा। चर्म । मृगचर्म | श्री जनपत्र (स्त्री.) जिसके पाँख चमड़े के हों। चमगीदड़ । चमचिट्ठ | अजिनफला, (स्त्री.) वृक्षविशेष | जिसके फल बहुत बड़े बड़े होते हैं। अजिनयोनि, (स्त्री.) मृगचर्म के कारण | हरिण हरिणी आदि । अजिर, (न.) ऑगन | चौक | आजेल, (त्रि.) अकुटिल सरल | सीधा | D अजिहाग, (पुं. ) बाण। सर्प (त्रि.) सीधा चलनेवाला। सदाचारी | अजीगर्त, (पुं. ) शुनःशेफ के पिता | इनकी कथा उपनिषदों में लिखी हैं। दरिद्रता और निर्घृणता में इनकी बराबरी करने वाला श्राज तक दूसरा नहीं हुआ । अजीतः, (पुं.) जैनियों का एक तीर्थङ्करविशेष | भावी बुद्ध । ( त्रि. ) अनिर्जित । अपराजेय । अजीर्ण, (न.) उदररोगविशेष । मन्दाग्नि अधिक भोजन दुर्बलता आदि के कारण यह होग उत्पन्न होता है । अजीवः, (त्रि.) मृत मरा हुआ। मृतक अनेकान्तवादियों का दूसरा पदार्थ यह चार प्रकार का है पुगल । आकाश | धर्मा- धर्म और अस्तिकाय | अजीवनिः, (स्त्री.) जीवन का अभाव | शाप के अर्थ में इसका प्रयोग किया जाता है। अजेय, (त्रि.) जो जीता न जासके। जीतने के योग्य | अजैकपादू, (पं.) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र | रुद्र- विशेष का नाम क्योंकि इसका पैर बकरी के पैर के समान है । अजुका, ( स्त्री. ) नाटकोक्ति में वेश्या । बड़ी बहिन । अश, (त्रि.) जड़। वेदों के तात्पर्य न जानने वाला । अनपढ़ | अविवेकी । मूर्ख । अज्ञात, (त्रि.) अज्ञान से युक्त | अविदित | ज्ञानम्, (न.) अविद्या । ज्ञान का अभाव ज्ञान से नष्ट होनेवाला । वेदान्त प्रसिद्ध पदार्थविशेष | भागवत में अज्ञान के पांच भेद बतलाये गये हैं। तम, मोह, महा मोह, तामिस्र और अन्धतामिस्र । भागवत में यह भी लिखा है कि सृष्टि के आदि में ब्रह्मा ने इन्हें बनाया था। अज्ञानप्रभवः, (पं.) श्रज्ञान से उत्पन्न अपने स्वरूप के यथार्थ ज्ञान होने के कारण जिसकी उत्पत्ति हो ।