• चतुर्वेदीकोष | ३७० संसेक, (पुं. ) छिड़काव | सींचना | संस्कृ, (क्रि. ) सजाना। चिकनाना | सफाई करना । संस्कर्तृ, (पुं. ) रसोई दास। फरीश दीक्षा देने वाला । निषेक अन्त्येष्टि पर्यन्त सोलह संस्कार करने वाला शुद्धि करने वाला। संस्कार, ( पुं. ) धर्म, रसोई, पात्रशुद्धि, श्रनशुद्धि आदि किसी तरह की शुद्धि, जैसे मलादि शुद्धिं, धातु आदि शुद्धि । श्रुति-स्मृति आदि का अनुभवजन्य आत्मा का गुण । शास्त्र से उत्पन्न ज्ञान । योग्यता व्याकरण आदि से शुद्ध शब्द | देववाणी व्याकरण द्वारा शब्दों की साधनिका | यज्ञादि कर्मों में भूमि आदि की शुद्धि के लिये किये जाने वाले कर्म । निषेक, गर्भाधानादि सोलह संस्कार | वैष्णवी दोश सम्बन्धी पुश्च संस्कार इत्यादि । संस्कृत (त्रि. ) साफ किया हुआ। शोधित सिद्ध किया। सजाया | संस्तर, (पुं. ) पत्ते फूल आदि से बनी या कुश कांस आदि की आसनी । शय्या । सेज | बिस्तरा । संस्तव, (पुं. ) भली भांति प्रशंसा करना । संस्त्याय, (पुं. ) ढेर। पड़ोस । विस्तार | फैलाव | गृह | संस्थ. (त्रि. ) मृत | पालतू | व्यक्त ( पुं. ) रहने वाला। पड़ोसी । स्वदेशी भाई । जासूस। भेदिया। संस्थान, (न.) ढेर । संग्रह | पद रूप । बनावट | चौराहा । मृत्यु । संस्थापन, (न.) एकत्रीकरण | घुमाव । संस्थापित, ( त्रि. ) एकत्र किया हुआ | नियतः किया गया। संस्थित, ( त्रि. ) मृत ठहराया हुआ | संस्पृश, (क्रि. ) छूना | पानी छिड़कना | मिलाना संस्पृष्ट. (त्रि.) छुआ हुआ। मिला हुआ। संस्फल, (पुं. ) मेढ़ा। बादल संस्फुट, (त्रि. ) खिला हुआ । कुसुमित | संस्फेट, संस्फोट, ( पुं. ) युद्ध लड़ाई | संस्फोटि, 1 संस्मृ, (क्रि. ) स्मरण करना । संस्मृति, (स्त्री. ) स्मरण । याददाश्त । संस्रव, संस्राव, ( पुं. ) टपका बहाव । धार संहन्, (क्रि. ) दो को एक करना। ढेर लगाना मार डालना। चोट लगाना । संहत, (त्रि.) चोटिल बन्द | दृढ़ता- पूर्वक जुड़ा हुआ । एकत्र हुआ। संहति, ( मी. ) समूह । भली प्रकार चोट लगाना । संहनद, ( न.) दृढ़ता। शरीर वध अ की रगड़न । बल संहर्ष, (पुं. ) आनन्द । वायु संहार, (पुं. ) प्रलय नाश । संहिता, (स्त्री. ) पुराण । इतिहास | वेद का वह भाग जिसमें कर्मकाण्ड का प्रतिपादन किया गया है । संहूति, ( स्त्री. ) घनेकों द्वारा आहूत संहादिन, (त्रि.) शब्द करने वाला । सकर्स, (त्रि.) सुनने वाला । सकर्मक, (त्रि.) कर्म वाली क्रियाओं को बतलाने वाला व्याकरण का धातु । सकल, (त्रि. ) सम्पूर्ण समूचा सकारण, (त्रि.) कार्यसहित । कार्य सकाश, (पुं. ) समीप । पास । सकुल्य, (त्रि.) जात भाई। सगोत्र । सकत्, (अन्य ) एक बार सकृत्प्रज, (पुं. काक सकृत्फला, १ ( श्री. ) जिसमें एकही बार सकृत्फली, फल हो । केले का पेड़ । जो । ✔ एकही बार जने | सिंह सक, (त्रि.) लगा हुआ | आसक |
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