पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/७

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

C श्रंक्ष चतुर्वेदकोष । ६ . अक्षपीडा, (स्त्री.) यवतिका नाम की लता । अक्षमः, ( त्रि. ) क्षमताशून्य । योग्यताहीन । योग्य । क्षमाहीन । क्षमारहित । अक्षमा, ( स्त्री. ) ईर्ष्या । क्षमा का अभाव | अक्षमाला, (स्त्री.) जपमाला । रुद्राक्ष की माला । M अक्षयः, (पुं.) अनन्त । क्षयरहित । अविनाशी । जिसका नाश न हो । अव्यय | ब्रह्मनिष्ठ । अक्षयकाल, ( पुं. ) अनन्तकाल | अक्षयकाल के अभिमानी • । अक्षयतृतीया (स्त्री. ) वैशाख शुक्ल तृतीया इसी तिथि को सतयुग की उत्पत्ति हुई है । अक्षयनवमी, (स्त्री.) कार्तिक शुक्लपश्च की नवमी | अक्षयवट, (पुं.) अविनाशी वटवृक्ष, प्रयाग का वटवृक्ष, जो देवता समझा जाता है । अक्षया (स्त्री.) तिथिविशेष । सोमवार की श्रमावास्या | रविवार की सप्तमी और मङ्गलवार की चतुर्थी ये अक्षया कहीजाती हैं। अक्षर, (पुं.) अकारादि वर्ण | नाशशून्य । ब्रह्म | अविनाशी । विशेषरहित । प्रणव । कूटस्थ । नित्य । अक्षरण, (पुं.) उत्तम लिखनेवाला । लेखक । अक्षरजीविकः, (पुं. ) कायस्थजाति । लेखसे जीनेवाला । लेखक । अतुलिका, ( स्त्री. ) लेखनी। लिखने का साधन । अक्षर (स्त्री) छन्दविशेष | इस छन्द में एक भगण और दो गुरु होते हैं । अरविन्यास, (पुं.) लेख | लेखन | अक्षरों का लिखना । अक्षवती, (स्त्री.) एक प्रकार के जुए का खेल। चौपड़ । अक्षवाट, (पुं.) युद्धभूमि | लड़ने का स्थान । अखाड़ा | अक्षशौण्ड, (पुं. ) पक्का जुश्राड़ी, जुआ खेलने में चतुर । अखा अक्षसूत्रम्, (न. ) जपमाला । जप करने की माला । अग्रकीलक, ( पुं. ) रथ के पहिये को रोकने की कील । श्रान्तिः, (स्त्री.) दूसरे का उत्कर्ष न सहना, ईर्ष्या । क्षमा न करना । अक्षि, (न. ) नेत्र | आँख ।• अक्षित, (त्रि.) आँखों पर चढ़ा हुआ । द्वेष्य | शत्रु | विरोधी । क्षीणः, (त्रि.) पूर्ण श्रदीन । क्षीण नहीं । एक प्रकार का यति । जो किसी वस्तु की प्राप्ति से प्रसन्न न हो, और श्रप्राप्ति से खिन्न न हो वह श्रक्षीण कहा जाता है । अक्षीब, (पुं. ) समुद्र का लवण | ( त्रि. ) उन्मादरहित । जो उन्मत्त न हो । श, (पुं. ) मन । इन्द्रियों का स्वामी । - अक्षीट (पुं.) अखरोट वृक्ष पर्वत पर उत्पन्न हुआ पीपल का वृक्ष । अक्षोपकरणम्, (न.) घनसाधन । जुषा खेलने की सामग्री | श्रक्षोभः, (पुं.) खम्भा | खूंटा । पशुओं को बाँधने का खुंटा | अक्षोभ्य:, (पुं.) शिव | दृढ़ | अचल । जो A राग, द्वेष आदि से विचलित न हो । अक्षौहिणी, ( स्त्री. ) सेनाविशेष | दस अनी- किनी सेना । अक्षौहिणी में-२१८७० हाथी । २१८७० रथ | ६५६१० घोड़े और १०१३५० पैदल होते हैं । अखदः, (पुं.) प्रियालवृक्ष । चिरौंजी का पेड़ | खण्डम् ( त्रि. ) खण्डरहित । पूर्ण । खण्डशून्य । अखण्ड परशुः, (पुं.) परशुराम । इन के परशु का कोई खण्डन नहीं कर सका था । श्रखातम्, (पुं.) देवखात, यकृत्रिम तालाब | झील | अखाद्य, (त्रि.) अभक्ष्य । जो खाने के योग्य न हो ।