पृष्ठम्:चम्पूरामायणम् (साहित्यमन्ज्जूषाव्याख्यासहितम्).pdf/३८२

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३९० बम्पूरामायणम् । गौ हो निर्णयाविषयमस्य वाल्त मुदर ५४ प्राप्य तत्पथग युद्ध युद्ध ५३ निर्भिवसागरकोऽति किरिकामा १३ | प्रारोधस्तदशुपति गुख सुद्ध ५३ निशाचरीमा निरवध मुदर २४ | प्रारम्भयानस्थ रखूबदस्य अयोध्या पर निशिरपतिरिखवेल पिपिया ३९ | प्राविक्षदपिलि पर पुस ९५ नित्रयसप्रणयिनी पनी सुन्दर प्रिये जनकनन्दिनि प्रतिभयोध्या ३२ नून अनेन पुरुषे महति बाल ११५ टी पिशिताया सर ४९ नून वितरता ते र २२ | बहादरोऽपि परदारपरि सुन्दर ५. पणपत्रिमुग्नेन रन अयोध्या ४५ भलेन हापमा सम्धे बाल ३ नेतु शोहरस निशाचर सुदर ४० | अदुभिरिह विशुफ़ गया माभनस्वमिद श्रीक भयोग्या २१ | माहुर दनानिकारोरव मदर ५. न्यमोवासमता बनश पाल प्रज्ञानं विलयन्त सुदर " पक्षःभिघातपरेचित मुन्दर ३] भारतलदन प्राय अयोध्या : मतति रम प्रथम युद्ध भरतपु कग्या वाळ परिगृल्य त सदिन युद्ध' ५५ | मौतो भूभरत फिलम्ब अयोध्या २१ परिणविपरुषाणा अयोग्य ६६ | मो तत लवगराज गुरु गर्मागापेरपा शिक्षिका ४३ | योऽपि सोच रघुनाथ सन्दर पर्याप्तभाम्याय भवान् थाल ३४ | भोजेन तेन रचितामपि युद परवानन्द भरत पर मुझ ०६] मच नुवादविभाव्य याल १० पन्चेदानीमुदाधिपरिसा मुन १५ | मन्दम दमपयन्तिवा बाल २६ पातितत्यहुताशनन दर ३३ ! मग सुरनानीटरयातिमि अयोगा पागेन हाजसमाध परप १३ | नमाग सलाध वा युद्ध ' मुरा मनोमा नान पाल५५ मयूरीव मातमाम समीया ६ पुरीमयो याम बासा वाल६४ नस्य निधिलोऽयम् रिधिन्वा । गोपहाररचनाय युद्ध ३८ मही जनादिव बुदि. गुन्दर १५ पौलस्सपातक्गिमागम पन्बर ६६. महामहीवार मोर्चम् मदर ३. पारसमजनुप पर युद्ध १७ गहासमरसूचक प्रति किरिका २५ प्रणतमणिपाक प्रणत युद्ध १०५ | मातुरामा पहनी बनी या २१ प्रतिदिनमबंदावन याल ५ | मातलो गभररोगाम घाल पिता पिपुपयन किया -ना निषार प्रतिष्ठा त्वम् बात प्रगामिनार्म नगरी अम्प पर ना भूश्वत्पदपायो भयोप्या २२ महादश अरानमनित माल १५ मायानगर तब मैधिदि सुन्दर र असाचणिश्वासपारणा युद्ध १-२ | भासमो जमानाटन मदर ५२ प्रदिदा विपिन महत् अरग नारीबीचमतिराव बाल ५० मादन्थरेशी माहितीति चरण्य २५ मुद्रा मुस्तिनीशिम् गुड शाचीन ग्यसन मुरेन्द्र दिकिया 'मुनिशाधोपशावि बाल