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कन्तिाधनम की चारणो । परमा कम्ति २३°२७ । मेषदि छं राशियों में खायनाकें हो तो उत्तरा क्रान्ति अन्यथा दक्षिणा ऋग्ति होती है। मीण १०| १ | ३ | ४| १७८९ १११११११४१४१९१६११८१९२०२१२ स+३/४२०६२७२८२४३० अंश ०/० | २१ | १ | १ || २३ ३ | ३ | ४ | ४ | ५ | १ | १९ | १ | ६ ७|७७ मेष ० | ९१९१०|१९११|१२| कन्य १ तुळ ६ ||BB३०६३४७३०९१४११४६१०३४४३|६१|१३|४२३२|१४१४४३|६४|१६|४८|३१३२१३ मीन ११ || १ १११११११११११३३१४९४११११६१६|खि ४ १६|१६|१|१७|१५१९९८ !|१४|११११ K११०१८१९१९१९१९ ६ ३८६१४८१०३१११११३१६११०३०४८२६| ३८११|१३|२०४४| ७ |१६३१४६१ |१९२९|४३|१६| ९ विक |३७१७३६ ३ २०३३८२४६५३-१६ २ १११३१२३६३ १३||४०१६६३|३२१११३°४९|४७१४|२३२४ कुंभ १० मिथुम • ||१३००||१२१|१९१|१२१३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३ कर्क ३

श्र ८ सार ९ अंश ०२९२८१७३61२५३४३३२३२ २०१९१०११६११४१३१|१११०८७| |,| सारणी द्वारा स्पष्ट क्रान्ति जानने की रोति-- सायन सुर्य के राशि और अंश के सामने वाले कोष्ठ में जो अंशादि क्रान्ति हो उ५को अलग स्थापन करे। फिर सायन । स” के शेष कला विकला गतांश और ऐयला सम्बन्धी क्रान्तियों।के अन्तर से गुणा करके ६० का आग देने जो कलादि पर क्रान्ति आवे उसको अलग स्थापित क्रन्स्यंशा में यथास्थान जोड़ देवे तो सायन धुएँ की स्पष्ट। क्रान्ति होती है । उदाहरण-साथन रवि ०।१३°n२९।२९ है तो ० राशि १२° के सामने की अंशादिशान्ति ४°१४४।४१’ हुई । फिर खयन रवि के का विकला २९।२९४ को १२° और १३° सम्बन्धि क्रान्तियों के अन्तर से गुणकरके ६० का भाग दिया तो _(२९/२९) [ (९°८।१०")-(४°४०'४१")] = (२९९) (०°२३° २१")_११।३९२४६ अब्धि =०१२ (स्वरूपान्तर से) ६ • मिी । इस को १३° के सामने की अंशादि क्रान्ति में जोड़ दिया तो स्पष्ट क्रान्ति=४°।४४।४५"+०१२” a g°।४४।१७५ है । खायनरवि मेष राशि में है अतः यह ४°१४४/५७/ / खतरा क्रान्ति हुई । | । आणि अशा ।