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सोऽहरणसटिप्पणहिन्दी टीका सहितः । २ि१ घटाना ( अर्थात् यदि भुक्तांश पर से ढन स्पष्ट करना हो तो सावनेष्ट छ का ६० में घटा के जो शेष घटो पछ हो उसमें भुक काल घट के शेष में गत राश्युदय मनों का घटना । यदि भोग्यांश पर से न साधन करन। हो तो लवनेष्ट घी पल में हा ग्यकाळ घटा के शेष में ऐष्य त्रय्य न्यहनों को घटान ) चाहिये । अव शेष को ३० से गुणा कर के अशुद्धमान ले भाग देने पर ते लब्धि अंशाकि अवे फ़को ने इसे अशुद्धराशि में घटाने और शुद्ध राशि में जोड़ने ले ( अर्थान मुक्त क्रिय हैं दश वृक्षश्-ि संख्या में घटाने और भोग्य क्रिया में छुट्टराईश्चलंख्या में जोड़ने से ) यन स्पष्ट लुप्त होता है। इसमें अयनांश बeर देने से अपने २ देश ह स्पष्ट लग्न हो जाता है जो १५-१३ ।। ङह-- व त्कालिक दृष्टसूर्ये = १११२०°५८'१०" ,, अयनांश = २,१°३१'१२१ " ,, स्ट्रयनार्दू =२१२°n२६ २:" भग्यशः = १७।३०३१ इस कां मेष के २२e उद्यान में गुणा करके ३० का भाग देने पर ( १७१३e { ३१ } २२० लक्रिय ३ ७ ४०६६ ० ० १६८२e ३८११ ११ ३४७ =१२४३३।४७,२७ इस विध ३° को इष्ट वटी पळ (१३१६६० = ८३६ में घटाने ले शेष = ८३६-( १२८१२३।१७५२० ) =१६ २।३६। १२४० इस में खूप के र शैल = । मन ( ३६६ से ३९४ = १६६ } Eने टर् 'ए = ७ $ ६ ३ ६ ११ २ १४ २-९६६ १९ el३६ ।१२।४० इसको ३० ले सुशा करके अजुह्वदयम्म ३४३ से भाग देने पर ब्धि – १९९१३६।१२i४९ ३० ३४२ ४६१ ८ ६२० - १३°१२’१३९// हुई ! झे ४' इसको शुद्धराशिसंख्या ३ में जोड़ दिया तो सयन पष्ट झ = ३।१३१२३१ हुझ । अश्रद्दांश घटाया तो स्पष्ट लग्न = ३१३°१२३ .२१°३१२९ " = ५ २६°४१ ४११० ' / वे शया। शुक्रांश पर से स्पष्टझ बनाने का उदाहरण - सायनाॐ = ०/१२१२९२९५ भृश x स्वोदय_( १२° २ ९९।२९" ) २२० ३ ९