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जलदध्ॐशुक्र: २३ २६ ४ ९ १६३८२१६ ३ ८२ - ३° ३७४४ = == ९१।३६i१२४० इg न पल ६०. { १३१६६ }=४६,६८२ २३ ६ पल में घटने से शेप=२ २६१-{ ११३६३१२।४१ ) = ३ ६७३२३।४७।२२ इसमें उलटे र्सन र लेकर चिंह तक का? म?ष २ ४१२ घटने पर शेप=२६७ ३२ ३ ।४७२-२४८२ =१९११२ ३ ४७१ २ ९ इस शेष को ३० से गुण करके अशुद्धोदयमान ३४२ से भाग देने पद लब्धि = ( १९१२ ३।४७२७ ) ३० ३४ है। १७४१ ६ ३।४० १६|४७|२१// इस्रको ३५३ अद्धराशिसंख्या 8 में घटा देने पर शेष सयनलन = ४- १६°।४७.२१' ) = ३।१३°१२३९ /। स्पष्टलग्न = सयनळन-अयनांश = ३१३°१३३९ // -२१°३१ २९ = २२१°४१'१०" हुआ । भुक्त भोग्याल्पत्व में विशेष भुक्तं भोग्यं स्वेष्टकालान विशुध्येद्यदा तदा । स्वेष्टं त्रिंशद्गुणं स्वीयोदयाप्तं यल्लवादिकम् । हीनं युक्तं रवौ कार्यं लग्नं तारकालिकं भवेद् ॥११७ ॥ यदि भुक्त या भोग्य पलादि इष्ट घटी पल में न घटे तो इष्ट पलादि को ३० से गुणा करके स्वेदय मान से भाग देने से जो लब्धि अंशादि आवे उसको ( भुक्झांश पर से लम् साधन किया जात7 हो तो ) स्पष्ट सूर्य में घटा देने से यदि भोग्यांशपर से लग्न स्पष्ट किया जाता हो तो ) स्पष्ट सूय में जोड़ देने से तास्कालिक स्पष्ट छन्न हो जाता है ।। १७ ॥ उदाहरण कल्पित सानय सूर्य = १२°१।३६ M/ भोग्याँश = १७° ४२'५३ १५ भोग्यकाळ = (१७° ४२/२५ २२० ३९ ३८९५३ ११४० १२९।११।३।२० ३९ यह पळादि भोग्यकाल कविपत इष्ट घटी पळ १४६ (= १०६ पल) में नहीं वटत =