पृष्ठम्:जन्मपत्रदीपकः.pdf/३१

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स्लोदाहरणस्वटिष्णद्दिी टीका सहितः ।। ३३ लढंध = ""C = २ ३ है । इस लिये इष्ट घटीपल = १०५ को ३० से गुणा करके स्वोदयमान=२२० से लाभ हुनेर • २९ ४ ३० १ २१ ४ ३ १९ १४°१९'५* २ ३० दुइ। इस अंशदिको स्पष्ट दायें=११ २ ०४ ६ नं 'डू द्वािर तो राधया स्पष्ट करत. . १११२ °१४६*३६-१४°३१'१ ९ क प्रकार के उदाहरण द छिये २० वें श्लोक के दस सदन का उदाहरण देखिये काशी में तथा २५°१४’ अक्षांशदेशों में केवल सर ही घर से पृज्य पद परमगुरुवर्य मठम०पं० श्रीसुधाकरद्विवेदाश्चत स्पष्ट वक़ याधनकी रीति दृश्यदर्ययशतो घटपूतं यत्तदीष्टपहितं तदुद्भवम् भादिकं त्वयनभागीनितं चन्द्रचूडनगरे भवेत्तनुः ।१८। लयनार्क के राशि-अंश के सामने के कोठे में जा बीपल हो एवं कला विकला सारणी में जो पछवि हो उनको यथास्थान ( एक एक स्थल हटाए कर ) जोड़ देने से जो वटो पळ विपळदि हो उसमें इष्टकाछ के बcपळा द को जोड़ देने से जितना घटपयादि हो उतने घट्यादि में अंश सारणी में जिस राशि अंश के सामने का घट्यदि घट जाजय डतने अंश ज्ञान के बीते हुए होते हैं । पुनः बढ़ने पर जो पळादि शेष बचे उनमें कला खारणीमें लिख राशिकछ के लासने क पळदि चढ जाय उतदा कछा उद्द को बनी हुई होती हैं । एवं विकला का ज्ञान भी करके स्ववों ( अश्; कट, चिक्लओ )को अपने २ स्थान में रखके जोड़ देने से राश्यादि सायनस्फुट लुप्त होता हैं : इसमें अयनांश बट। देने से स्पष्ट लग्न काशी में जाता है ।। १८ ।। उदाहरण - स्पष्ट सूर्य ११।२०°1६ ८/१२ " और स्पष्ट अयनांश २१°३१'०२९ दोनों को यथा स्थान जोड़ दिया तो सायन मूर्छ होगया ०।१२°१९'२९/ ? *प्रज्ञ सायन सूर्य के सामने का राशिवंश का बव्यद= ११ २ २१२ संशकला का पलाद = ३ ३१ १३४ राशिविकला क चिपळदि = ३ ३६३४ य = १ । ३ २ ६१ १/३४ इसमें इछ ठी १ ३:१६ जोड़ दिया तो धोग = १६ । २५१११।९३ ४ हुआ । अब इस में कई के १३° के सामने का घडो पळ (११।१८१९)बट या दो श्रेष्ठ प्रद्रि ९५६११७३४ बछ। फिर इस पळदि में शशिकळमरिमें १ ३ कला सम्बन्धी एलादि १४९।२० बटया तो शेष विपलबि ४२४ व च । फिर इली र सिवियला स्सरी में ९ विकछा के सामने का विपढ्द १४३० वट गया तो शेष भ३४ प्रतिविपल बचा । इस को बलपान्तर से छोड़ दिया। अब सारणो में १२°१२ ५२९ के सामने के फक बट गये हैं इस ख्येि सायनशन ३।१२°.६२°९' हुआ । इसमें अयनांश बठा दिया तो काशी का स्पष्टल्स ३ १३° ६२९. -(२१°३१'१९"}=२२१°२०'४०"होगया। - * स्वल्पान्तर से यही काशी का स्पष्ट सुर्य मान लिया गया है।