पृष्ठम्:जन्मपत्रदीपकः.pdf/५१

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सदइएलटिप हिन्दी टीका सहितः | जे अह ने ईं ’ वरौमें स्थित होते परिजहरुथ, ३ वर्गों में वे ते उरः , अ: च में है’ तो धुर ध, सच आमत्री में होते ते द्विासनश्च, छ वर्ग लें हो पर छलांशश्चन में ह ते । वैश्लोकध, iठ अनं में इं; ब्रह्मलोकस्थ, १ क्षेत्र में उठ हो !&तश९५ दश्र! देश भर में ३४थत होतं बैं; . थ कह 37 है । ५९-५० {{ दिइ१तरी अंद११ इञ्च-- दश चान्तदंशः दैत्र त्रिदशपदा तथा । श्र!णाख्या च फलं तातं वदेच्छत्रानुसार B ५१ । १ महदश, २ अन्तर दश, ३ विदश ( प्रत्यन्तर दशा ), ४ उपदेश, ( सूक्ष्मदृशा ) और ५ श्रादशा ये ५ प्रकार की दशायें होती हैं । इनके फल का शान के अनुसार आदेश करे ! '५१ ।। म्हदृशान - स्युः कृत्तिकादिनवकञ्जिकभे रवीन्दु भौमाऽणुजीवशनिविच्छिखिभार्रवाणाम् । षदिनगेभबिघु-भूष-न चेन्दु शेल भू-धरा नन्नपितयः क्रमतो दशब्दः || ५२ ॥ । कृत्तिका नक्षत्र से आरम्भ करके स्त्र नत्र नक्षत्र की आवृत्ति में . गिनने पर क्रमसे सूर्य, चन्द्रमा, सङ्ग छ, हु, बृहस्पति, शनि, बुध, केतु और शुक्र इन की दशा के ६१०७१८१६i१९१७,७२० वर्षे होते हैं । ५२ ॥ विशोत्तरीया दशा इति० रोहि• सुग० आर्मी • पुन० | पुष्य आलेसधा | पू.क नक्षत्र |उ.फ हस्त चित्र ” स्वाती विशा. अनु० ज्येष्ठा ! मूल | पूषा उ.मी अवण धनिष्ठा शत० पूभा°उ.मा रेवती अश्वि भरणी दशेश | सूर्य चन्द्र भौम गहुँ गुरु | शनि. बुध केतु शुक्र | न ६ ३ १० ३ ७ | १८ | १६ | १६ | १७ | ७ | २०