पृष्ठम्:जन्मपत्रदीपकः.pdf/५४

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

४एँ काल्नधकः महादेश लिखने का क्रम - | । श० { चु• के० शु° सू० चन्द्र दशेश } १७ १० दोष भास दिन २७ ४९ १६६०१६e४२०११२०१८२०३८२०४४ संवत् ५ के ११ राशि ३० | १३ | २३ | २३ ३ २ ३ | २३ | अंश ५८ | २५ | २५ | २ | २५ | २५ कला • ॥ ४६ ४६ ४६ ॥ विकल | ४३ | | ye | । (ग) स्पष्टचन्द्रम ही पर से दशाझ भुक्त भोग्यानयन- स्फुढेन्दोः कलायं विभक्तं खड्गैः ८०० फलं भानि दास्स्रादिकानि स्युरेवम् । दशाब्दैर्हतं शेषकं खञ्जनागै ८०० हृतं स्यात्समाधं दशभुक्तमनम् ॥ ५५ ॥ ततस्तद्विशोध्यं दशद्वर्षमध्ये वशिष्टं भवेद्रोग्यमानं दशाय।? । फलं पूर्ववत्तस्य कस्यं सुसद्भि र्महद्भिस्तथा काशिकायां वसद्धिः ॥ ६६ ॥ रश्यादि स्पष्ट चन्द्रमा की कला बना के ८०० का भाग देने पर डब्धि गत नक्षत्रकी संख्या होता है । अब वर्तमान नक्षत्रके अनुसार जो दशवर्ष आवे उखसे शेष कला को गुणा करके ८०० का भाग देने पर टध वर्षादि दशा का भुक्तमान होता है। उसको दशा वर्षे में घटा देने से शेष दशका भोग्यवर्षादि होता है । ५५-५६ ।। (घ) प्रकारान्तर से भागपूर्वः शशी याहृतः खाब्यि ४०हृत्चत्फलं यातनक्षत्रसंख्या भवेत्। शेषकं स्वैर्दशावैर्गुणं ’भाजितं शून्यवेदै४०र्दशभुक्तमानं भवेत् ॥ तत्परं पूर्ववद्रोग्धमानं तथा कल्पनीयं फलं जातकलैः सदा ॥१७