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विषयानुक्रमाणि । दल १८ पृष्ठ संख्या भी वषय श्रेष्ठ लैग्री मङ्गलाचरण १ शुक्रांश पर से लरनरूपष्ट बनाने की । पवङ्ग पर से ग्रह्स्पष्ट करने की रीतेि १ उदाहरण ११ वण्डादि (दि) से बट्यादि इष्टकाल १ भुक्तभोग्यत्व में विशेष २ २ बनाने की रीति ? टिप्पणी में ) १ | २९५°१४अक्षांश देशों में सरणी २ ॥ द्वारा लग्नस्पष्ट करने की रीति २३ हन्ति साधन की सारणी ४ । ६झ ल१ut ३४-२ लrणी द्वारा स्पष्ट झन्ति जानने नलद्र नेख्त की रीति ४ | दशमझ सtधन की रीति ४८ र सरणी ६° अक्षांशसे ३६° अक्षांश सारणी पर से सब देशों के लियेद शमळत लक १-६ ! साधन की रीति सारणीसहित २८-३१ चर सारणी द्वारा काशी से अन्यत्र ! बिन लक्रल के ही इशमसाधन का का तिथ्यादि मन जानने की प्रकार ३२ हीति तथा उदाहरण १ २ भजलधर अन्यदेशीय ग्रह बनने की रीति ८, १२ मावच ३ ३ अज्ञात-भभोगनयन विशेष ३३ चन्द्रमा स्पष्ट करने की रीति १० | माह के भाव (अबस्था विशेष) का चन्द्रमा स्पष्ट करने की दूसरी रीति १४ ३४ पलभा और चरखण्ड का ज्ञान ११ ९ ग्रहों की शयनादि अवस्य का ज्ञान ३४ काशीसे पूर्वी देशों के अक्षांश } अन्य प्रकारकी अक्ष की अवस्थाएँ ३६ देशान्तर १२-१३ । ग्रहों की पध्यक्ष मंत्री ३६ काशी से पश्चिमदेशों के अक्षांश दशवर्गा ३७ दृशान्तर १४-१७ | राशिस्वामी ३७ अक्षांश पर से सारणी द्वारा पलभा होरा-नेक्काण ३ ८ ज्ञान की विधि १८ सहमत ३८ पलभसारणी वस्रमश १८ ३८ बृदय पर से स्वोदय ज्ञान १८ ४ दशमांश -ऋदिशांश ३४ आजमगढ़ का उद्यमान १९ / राशिष्वमी होराद्रेष्काण स्€मांश- अयनौका स्पष्ट करने की रीति १९ } नवमश बोघक चक्र ३ १ अयनांश बनाने की दूसरी रीति २० दशमांश द्वादशांश बोधक 'चक्र ४० न स्पष्ट करने की रीति षोडशांश और षोडशशचन्ना ३० ४ ९ भोग्यांश पर से मनरूपष्ट करने का भी त्रिंशांश और चक्र ४१ उदाहरण २९ अयंश ४१ १ ।