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सुहूर्त ११ & १२१ ) विद्यारम्भे गुरु श्रष्ठो मध्यमौ भृगु भास्करौ । बुधे सौमे च विद्यय शनिभौमौ परित्यजेत् ॥ टीका-देवोत्थान कहिये कार्तिक शुक्ला ११ से आषाढ़ शुक्ला १२ तक और मीन, धन, ये लग्न पाँच वर्ष में विद्या पढ़न आरम्भ करना चाहिए । ६ । अमावस्या ॥१॥६॥१४॥४ ये तिथि षर्जितहै और बुध चन्द्रमा में विद्या आरम्भ करे तो मुखं हो, गुरूवार श्रेष्ठ है शुक्र रवि मध्यम हैं बुध सौम उप बिंद्याको करे है, शनि,भौम संवत्र त्याज्य है। ह० चि० स्वा०श्र-घ० तीनों पूर्वी अ०मु०आ० क्षु० पू० अश्ले० गृ० ० ये नक्षत्र शुभ हैं। अथं यज्ञोपवीत सुहृतं । पूर्वाषढाश्विनी हस्तत्रये च श्रवणत्रये । ज्येष्ठ भगे मृगे पुष्ये रेवत्यां चोत्तरायणे । द्विनययां तृतीयायां पंचम्य दशमीत्रये । सूर्य के गुरो चन्द्र बुधे परे तथासिते । लग्ने वृषे धेनुः सिंहे कन्यामिथुनयोरपि । ब्रतवंधे शुभे योगे ब्रह्मक्षत्रिविशापितेः । ,. वीका-पूर्वाषाढ़ अ० ह० चि० स्त्र० अ० ध० शत्० ज्ये० पूर्धाझ० सू० पुष्य रे० उत्चरायण वयं। २ । ३ ।५। १०११ १२ १३ ये तिथि रवि शु० गु० बुध, चन्द्रमा ये वारशुक्ल पक्ष और बृष, धन सिंह, कन्या, मिथुन ये लग्न और शुभ योगं में जनेऊ ले इनमें ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य, तीन जाति को कहा है ( वेद में )तीनों जाति के जुदे २ भेद कहे हैं।