पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१२

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

(४) ताजिकनीलकण्ठी । थुनवत् ) पूर्वार्द्ध स्थिर, उत्तरार्द्ध चर, दक्षिणदिशा स्वामी, रात्रिवली, वा युवतत्त्व, शीतप्रकृति, समलन इसका भूमितत्त्व भी है और आधाशब्दवाली, सरलभूमिचारी, वैश्यजाति, रूक्ष शरीर, अल्पस्त्रीसंगी, अल्पसंतति, समराशि, इतने लक्षण कन्या राशि के हैं ॥ ७ ॥ उपजा० - मांश्चरश्चित्रसमोदयोष्णःप्रत्यङ्मरुत्स्निग्धखो न वन्यः || स्वल्पप्रजासंगमशूद्र उग्रस्तुलोधुवीय द्विपदः समानः ॥ ८ ॥ तुला; तराजूकासा रूप, पुरुषराशि, चरसंज्ञा, चित्रवर्ण, समलग्न, गरम, पश्चिमदिशाका स्वामी, वायुतत्त्व, स्निग्ध (चिकना) शरीर, शब्दरहित, वनचारी क्रूर, अल्पखीसंगी, अल्पसंतान, शूद्रजाति, दिवा बली, दोचरण, बलवान अंग इतने लक्षण तुलाराशिके हैं ॥ ८ ॥ ●- उपजा - स्थिरः सितःस्त्रीजलमुत्तरेशनिशाखो नो बहुपात्कफी च।। समोदयो वारिचरोऽतिसंगप्रजः भः स्निग्धतनुर्द्विजोऽलिः ॥ ९ ॥ ु बीछूकासा रूप, स्थिरसंज्ञा, श्वेतरंग, स्त्रीराशि, जलतत्त्व, उत्तर दिशा पति, रात्रिचर, शब्दरहित, बहुपाद, कफप्रकृति, समलग्न, जलचारी, अतित्रीसंगी, बहुतसंतति, शुभराशि, स्त्रिग्ध (चिकना) शरीर, ब्राह्मण जाति, स्थूल अंग ये लक्षण वृश्चिक राशिके हैं ॥ ९ ॥ उपजा० - ना स्वर्णभाः शैलसमोदयोतिशब्दो दिनंप्राग्हढरूक्षपीतः ॥ राजोष्णपित्तो धनुरल्पसूतिसंगोद्विमूर्ति द्विपदोऽग्रुिः ॥ १० ॥ धनुषाकार, पुरुष, सुवर्णसमानकान्ति, पर्वतचारी, समलग्न, अति शब्दवान्, दिनबली, पूर्वदिशाका स्वामी, बलवान् शरीर, रूक्षतनु, पीलारंग, क्षत्रिय जाति, गरम, पित्तप्रकृति, अल्पसंतान, अल्पस्वीसंगी, द्विस्वभावराशि, पूर्वार्द्ध स्थिर, उत्तरार्द्ध चर, दोचरण, अग्नितत्त्व, करसंज्ञा, इसके भी दोरंग और दो रूप हैं जैसे पूर्वाई सुवर्णवर्ण और उत्तरार्द्ध पीतवर्ण और कटि ऊपर मनुष्य और नीचे घोडा ये लक्षण धनराशिके हैं ॥ १० ॥