पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१६

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(८) ताजिकनीलकण्ठी | लीससे भाग देकर लब्धि स्वचतुर्थांश युक्त राशिके दूसरे स्थानमें स्थापन कर- ना. शेष ६० से गुनकर ४० से भाग देना, लब्धि तीसरे स्थान में स्थापन कर- ना. ये तीन अंक वार, घटी, पल इनमें जन्मके वार इष्ट घटी पला यथाक्रमसे जोड़ने घटी पल ६० से अधिक हों तो ६० से शेषित करके लब्धि ऊपरकी राशिमें जोड़देना. वारकी राशि ऊपरका अंक जो गतवर्ष चतुर्थांश युक्तहै वह ७ से ऊपर हो तो ७ ही से तष्ट करदेना. यही प्रयोजन दूसरे प्रकार यह है कि 'सपदा दलिता सदला' अथवा ( वर्ष सवाया आधा ड्योढ ) अर्थात् गत- वर्ष ' सपाद ' उसकी चौथाई उसीमें जोड़के बार हुवा, फिर ' दलिता' उसका आधा करके घटिका हुई फिर उसका आधा उसीमें जोड़के पला हुई, जन्मवार इष्ट घटीपल क्रमसे जोड़ दिया तो वर्षका ध्रुवक बाघटी पल होते हैं. उहाहरण - इसका प्रथम श्लोकोक्तमकार तो यह है कि जैसे जन्म संवत् १९०६ वर्षप्रवेश संवत् १९४३ में घटाया, शेष ३७वह जन्मशक १७७१ वर्षशक १८०८ घटाया शेष ३७ गतवर्ष हुआ, इसमें इसीका चतु- थश ९ । १५ जोड़दिया तो बार ४६ घटी १५ हुई, उपरांत गतवर्ष ३७ गुणक २१ से गुणना किया तो ७७७ हुये, इसमें ४० से भाग लिया, लब्धि १९ घटी मिली वार राशि ४६ के नीचे घटिकाकी राशि १५ में जोड़ दिया ३४ घटी हुई शेष अंक ६० गुणकर ४० से भाग दिया लब्धि २५ पला और ३० विपला मिली, इन्हमें जन्म वारादि २ ३९२९ जोड़दि- या तो वर्ष वारादि होगया. सरा प्रकार यह है कि गतवर्ष सवाया ४६ दि. १५ घ. गतवर्ष आधा घ. १८५. ३० तीसरे गतवर्ष ड्योढा प. ५५ वि. ३० सबको यथाक्रम स्वस्वजातियोंमें मिलाय दिया. जैसे विपल तो ३० रहे पल ३० और ५५ जोड़के ८५ यह ६० से उद्धृत करदिया तो पल २५रही लब्धि १ घटी १८ । १५ तीनों जोडके ३४ घटी मिली, वह ४६ ही हैं इन वारादि ४६|३४|२५|३०१ में जन्मवार २ घटी३९ पल २९ जोड़ दिये तो चार ७ घटी १३ पल ५४।३० यह वर्षेष्ट हुवा ॥ अन्यप्रकार १ । १५ । ३१ | ३ | को गतवर्षसे पृथक् २ गुणदिया. यथाक्रम बारादि ध्रुक्क होजा- ता है इसके और प्रकारभी बहुत हैं इसकी उत्पत्ति यह है कि सूर्यके पूरी १२