पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१९

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भाषाटीकासमेता । (११ ) जहांतक इष्टदिन समय का पूर्व चालक मिलता है. जितना समय हो उसमें बैराशिकका गत फल जोड़देना यह स्पष्ट होजाता है. इतना स्मरण इसमें मुख्य चाहिये कि ९ चरण नक्षत्रों से एक राशि होती है, एक चरण नक्षत्र भोग में ३ अंश २० कला स्पष्ट होता है, एवं ६ । ४० में दो चरण १० |० में तीन चरन १३ | २० में चार चरण १६ । ४० में पांच चरण २०1० में छः चरण २३ | २० में ७ सात चरण । २६ । ४० में आठ ३० १० में नौ चरण पूरे नवांशक क्रमभी है, एकचरण अर्थात् ३।२० अंशकी २०० कला होती हैं, ये सभी अंक त्रैराशिक में काम आता है. उदाहरण - संवत् १९४३ वैशाखवाद द्वादशी शनिवार १३ घटी ५४ पला में वर्षप्रवेश है। इसके पूर्वदिन शुक्रवार ४१ घटी ४६ पलोंमें रेवतीके तीसरे चरणपर चालक है, और चतुर्दशी सोमवार को ५३ घंटी ३ पलोंमें रेवतीके चौथे चरणपर चालक है, इनका अंतर ३ दिन ११ घ०१७ पल हुवा. प्रथम चालक से इष्ट समय पर्यंत,०दिन । ३२ घंटी ८ पल अंतर हुवा अब त्रैराशिक है कि ३ | ११ | १७ दिनादि अंतर में ३ अंश २० कला स्पष्ट हुवा, तो अंतर दिनादि ० । ३२ |८ में कितना होगा ३१२० से ० १ ३२२८ गुनाहै ३ | ११ | १७ से भाग देना है गुणन भाजनक्रम गोमूत्रिका और भिन्नकी रीतिसे है. सुगमतासे समझने के लिये वह विधि ऐसी भी है कि ३ अंशको ६० से गुनदिया २० कला जोडू दी २०० कला पिंड गुणक हुवा, दूसरी राशि ० | ३२ । ८ शून्यके स्थानः में कुछ अंक होता तो ६० से गुनकर ३२ जोड़ना था यहां शून्य ही में ३२ से ७ गये अब ३२ को ६० से गुनकर १९२० में आठ जोड़दिये १९२८ गुणक हुवा. गुण्यगुणक को परस्पर गुण देने से ३८५६०० हुवा इसमें ३ ।११।१७ के पिंड ११४७७ से भागदिया. ३३ कला मिलीं, शेष अंक- को ६० से गुणकर भाग हारसे भाग देकर लब्धि उसके ऊपर अंश होते शेष कला रहती यहाँ ३३ साठसे न्यून है तो यही कला रही अंश • | इसमें अब विचार है कि खेती के तीसरे चरण में ० । ३३ । ३६ अंशादि • ० ७.