पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२७२

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

( २६४ ) ताजिकनीलकण्ठी | || लाहिबुकार्थयुक्तैः सूर्य्यादथवासितेंदुशशिपुत्रैः ॥ सस्यस्यपरासंपत्कर्मणि जोवेथवाचापे ॥ ८ ॥ प्रश्नलयसे वा सूर्य्यसे ११ । ४ । २ स्थानों में शुक्र चंद्रमा दुध हों तो अन्न अच्छे होवें धनका बृहस्पति दशम हो तो भी यही फल है ॥ ८ ॥ कुंभेगुरुर्गविशशीसूर्य्योलिसुखेकुजार्कजौमकरे निष्पत्तिरस्तिमहतीपश्चात्परचक्ररोगभयम् ॥ ९ ॥ कुंभका बृहस्पति वृषका चंद्रमा वृथ्विकका सूर्य और मंगल शनि मकर के हों तो अन्न अच्छे हों परंतु पीछेसे परचक वा रोगोंका भयभी होवे ॥९॥ मध्ये पापग्रहयोः सूर्य्यः सस्यविनाशयत्यलिगः ॥ पापः सप्तमराशौजातंजातंविनाशयति ॥ १० ॥ वृश्चिकका सूर्य्य पापोंके बीच तथा सप्तम में पापग्रह हों तो हुवहुये भी अन्ननाश होजावें ॥ १० ॥ अर्थस्थानेकुरः सौम्यैरनीक्षितःप्रथमजातम् || सस्यनिहंतिपश्चादुप्तनिष्पादयद्रयक्तम् ॥ ११ ॥ दूसरे स्थान में पापग्रह शुभदृष्टिरहित हों तो पहिली बोई हुई खेती नारा हो दूसरे बारकी जुती हुईसे अन्न उत्पन्न होवें ।। ११ ।। जामित्र केंद्र संस्थौकरी सूर्य्यस्य वृश्चिकस्थस्य || सस्यविपत्ति कुरुतः सौम्यै टेन सर्वत्र ॥ १२ ॥ सप्तम केन्द्र में वृथ्विक सूर्ग्यसे दो पापग्रह हों तो फसल नष्ट होवे जो शुभ ग्रहों की दृष्टि भी हो तो कहीं कहीं अच्छी भी होगी ॥ १२ ॥ वृश्चिकसंस्थादर्कात्सप्तमषष्ठोपगौयदाकूरौ || भवतितदानिष्पत्तिः सस्यानामघंपरिहानिः ॥ १३ ॥ वृश्चिक के सूर्ग्युसे ६ । ७ स्थानों में पापग्रह हों तो अन्न तो होंगे परंतु आव घटेगा |॥ १३ ॥ विधिनानेनैव रविवृषप्रवेशेशरत्समुत्थान्नम् || विज्ञेयः सस्थानांनाशायशिवायवातज्ज्ञैः ॥ १४ ॥