पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/४२

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

(३४) ताजिकनीलकण्ठी | श्री शोभा विद्याविलासयुक्त गर्गाचार्ग्यके वंशका भूषण स्वरूप और गणितशास्त्रज्ञ चिंतामणि नामा आचार्यका पुत्र, अंनत नामा दैवज्ञ जिसकी ज्योतिष शास्त्र में अनंतबुद्धि थी और जिसने जनुः पद्धति ( जातक ग्रंथ ) दुष्टजनोंके मत काटनेनिमित्त रचे. इनका पुत्र नीलकंठ नामा पंडित महाभा-- प्यादि शास्त्रपारंगमने वेदशास्त्र और श्रौतमत्त कर्मानुष्ठान शील दाक्षिणात्य शिवनामाब्राह्मण के आज्ञानुसार समरसिंहोत ताजिक शास्त्रके आर्ग्या - छंदोंको दुर्योजक समझकर ' इंद्रवंशा प्रभृति अनेक छंदोंमें और ताजिक ग्रंथो का प्रकार सहित, इस संज्ञा प्रकरण में ग्रह प्रकरण बारह भाव पंचवर्गी द्वादशवर्गी प्रभृति सविस्तर कहे ॥६३॥ इति महीधरकंतायां ताजिकनीलकंठी- भाषायां राशिस्वभावनिर्माणपंचवर्गीभावकृत्यप्रकरणग्रहाध्यायः प्रथमः ॥ १ ॥ ( उपजाति ) सूर्य्योनृपोनाचतुरस्र मध्यंदिनदिक स्वर्ण चतुष्पदोशः || सत्त्वं स्थिरस्तिक्त पशुक्षितिश्च पित्तंजरन्पाटल मूलवन्यः ॥ १ ॥ अब ग्रह स्वरूप प्रकरण में प्रथम सूपका स्वरूप कहते हैं कि, जातिमें राजा ( क्षत्रिय ) पुरुष, चतुरस्र मध्याह्नबली, पूर्वदिशाका स्वामी, सुवर्ण धातु स्वामी अश्वादि चतुष्पदोंका स्वामी, पाप ( क्रूर ) सत्वप्रधान. सद्गुणवान् स्थिर प्रकृति. तिक्त ( तीता ) रसको प्रियमाननेवाला पशु भूमि - चारी पित्तप्रकृति वृद्धावस्था. वेतरक्तवर्ण मूलवस्तु वनचारी ॥ १ ॥ ( उपजातिच्छन्दः ) वैश्यः शशी स्त्रीजलभूस्तपस्वी गौरा पराह्नांबुगधातुसत्त्वम् ॥ वायव्यदिक्श्लेष्मभुजंगरूप्यस्थूलो युवाक्षा- रशुभः सिताभः ॥ २ ॥ 'चंद्रमाकां स्वरूप, वैश्यजाति वणिग्रवृत्ति स्त्रीग्रह जल भूमिचारी तपकर. नेवाला. उज्ज्वल वर्ण ( गौररंग ) अपराहूबली जलचारी गैरिकादि धातु स्वामी सत्यप्रधान वायव्यदिशाका स्वामी, श्लेष्म ( कफप्रधान ) भुजंग (सर्पों ) का स्वामी रौप्य द्रव्यका पति. स्थूल तरुणावस्था. लवणादिक्षार रसप्रधान, सौम्यग्रह शुभवर्ण. इतने रूपादि चंद्रमाके हैं ॥ २ ॥ 4