पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/४६

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(३८) ताजिकनीलकण्ठी । ( शार्दूलवि० ) दृष्टिः स्यान्नवपञ्चमे बलवती प्रत्यक्षतः स्नेहदा पादोनाखिलकार्य्यसाधनकरी मेलापकाख्योच्यते ॥ गुप्तस्नेहकरी तृ ीयभवने कार्य्यस्यसंसिद्धिदात्र्यंशोना कथिता तृतीयभवनेषड्भा- गदृष्टिर्भवे ॥ ९ ॥ अब दृष्टिका विचार कहते हैं कि यह अपनी आक्रांत राशिसे नंबम और . पंचमस्थ ग्रह. अथवा भावको पादोन ४५ | ० दृष्टि से देखता है यह बल - वान दृष्टिहै. मेलापका इस्का नामहै परस्पर प्रीति देती है. मित्रस्वजनादियोंका सुख और धन सम्पत्ति देती है. यह प्रत्यक्ष स्नेहदृष्टि हुई सम्पूर्ण का यह भावजन्य साधन करतीहै । द्वितीय स्वकीय स्थानसे तृतीय ३ स्थानमें और ११ एकादशस्थान में कमसे तृतीयांशोन ४०।० तथा पड़भाग १०/० दृष्टि होती है इस्कानाम गुप्तस्नेहा. और सर्वत्र कार्य सिद्धि देनेवाली दृष्टि होतीहै. ये दोनहूं ३।११ दृष्टिस्नेह बढ़ावनेहारी पुत्रसुख और आयु धनको बढ़ातीहै ॥ ९ ॥ ( शार्दूल०) दृष्टिः पादमिता चतुर्थदशमे गुप्तारिभावास्मृतान्योन्यंस- समभेतथैकभवनेप्रत्यक्षवैराखिला ॥ दुह, त्रितयंक्षुताह्वयमिदं का - स्य विध्वंसकृत्संग्रामादिकलिप्रदं दृशइमाः स्युर्द्वादशांशांतरे ॥१०॥ यह अपनी आक्रांत राशिसे चतुर्थ ४ दशम १० स्थानमें चतुर्थीश १५ कलादृष्टि देखता है. इसका नाम गुप्तारि दृष्टिहै, और परस्पर सम्म ७ भावमें पूर्णदृष्टि ६० कला देखता है, इसका नाम प्रत्यक्षवैरा है, और ऐसेही एक भावस्थ ग्रहोंमे॑भी प्रत्यक्षवैरादृष्टि होती है. ये तीनों दृष्टि क्षुत संज्ञक हैं अनि- एफल देती हैं कार्ग्यका नाश करनेवाली संग्राम कलह आदि क्लेशफल करती हैं. यहां प्रत्यक्षनेहा १ गुप्ता २ गुप्तपैरों ३ प्रत्यक्षवैरा ४ और एक स्थानस्थिता अत्यन्तवैरा ५ पांच प्रकार दृष्टि कही हैं. परन्तु बारह अंशके भीतर अर्थात जो देखनेवाला है उसके स्पष्ट अंशोंसे जिसे देखता है इसके स्पष्ट अंश बारह १२ अंशके भीतर हो तो दृष्टिका उक्तफल पूर्ण देता है बारह अंशके उपरांत कुछ लक्षणमात्र उक्तफलको देता है. पूराफल नहीं देता है इसका गणित उदाहरणसहित आगे कहते हैं ॥ १० ॥ - .