पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/५०

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(४२) ताजिकनीलकण्ठी | अब पोडश योगाध्याय में प्रथम इनके नाम कहते हैं. पहिला इक्क-- वाल, दूसरा इंदुवार एवं इत्थशाल ३ ईशराफ ४ नक्त ५ यमया ६ मणूऊ७. • गैरिकंबूल ९ खल्लासर १० रद्द ११ दुफालिकुत्थ १२ दुत्थो-- त्थदिवीर १३ तँवीर १४ कुत्थ १५ दुरफ १६ ये संज्ञा हैं इनके लक्षण आगे कहते हैं ॥ ० ( २) कम्बूल ८ ● ( वसन्तति ० ) चेत्कंटकेपणफरेचखगाः समस्ताः स्यादिकबाल- इतिराज्यसुखाप्तिहेतुः || आपोक्किमे यदि खगाः सकिलेंदुवारो न स्याच्छुभः क्वचन ताजिकशास्त्रगीतः || ३ || जो सभी ग्रह कंटक १४ । ७ । १० और पणफर २ | ५ | ८ | ११. स्थानों में हों अर्थात् आपोक्किम ३।६।९ | १२ में कोई यह न हो.. तो इस योगका नाम, इक्कवाल है, इसका फल, राज्य सुख है, वह मनुष्यों को .कुलानुमान होता है, अथवा जिसके वर्षमें अरिष्ट योग हो, वह आरिष्टही इक्कवाल योगके फलसे भंग होजायगा, दूसरे येभी ग्रह आपोक्लिम ३ । ६ । ९ । १२ में हों अर्थात् इकवालोक्त कंटक १ । ४ । ७ १. १० पणफर २ । ५ । ८ । ११ में कोई ग्रह न हो तो इस योगका नाम इंदुवार है.. इसका फल अनिष्ट है, इन्दुवारनामहीका अर्थ शुभका विपरीत अर्थात् अशुभ है, ऐसाही फलभी है, इनका उदाहरण कुण्डलियोंमें लिखा है ॥ ३ ॥ इक्कवालयोग. इन्दुवारयोग. बृरा १२ सू २ CH ७४ 13 ५ २ ४ कुंडली. ८ शु ४ ७ बृ १२ १०ज्ञ शमंके ( इं०व० ) शीघ्रोल्पभांगर्धनभागमंदेऽग्रस्ते निजतेजउपादद्दीत || .. स्यादित्थशालोयमथोविलिप्तालिप्ताईंहीनोयदिपूर्णमेतत् ॥ ४ ॥ रा ११ मंट