पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/५६

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(४८) ताजिकनीलकण्ठी | ११ नक्कयोगका उदाहरण जैसे स्त्रीलाभ प्रश्नमें कन्या लग्न, लग्नेश शीघ्रगति बुध सिंह के दश अंशपर का शास्त्री प्रश्नहोनेसे सप्तमेश मंदगति बृहस्पति मीनराशिं के बारह अंश परहै इनकी परस्पर दृष्टि होती तो, शीघ्रोल्पभागेत्यादि इत्थशाल हो तो यहां इनकी ६ । ८ स्थानों में होनेसे दृष्टि नहीं हैं, परंतु इनके बीच धनराशि में वा वृपराशिमें लग्नेश और कार्यश अंशोंके मध्यवर्त्ती बारह वा ग्यारह अंशपर चंद्रमा दोनोंसे शीघ्रगति है, और दोनोंको नवम चतुर्थ वा लाभ चतुर्थ पूर्णदृष्टि से देखता है, इस व्यवस्था में चंद्रमा अपने पीछेवाले शीघ्रबुधका तेज लेकर अपने अग्रवती मंदगति बृह- स्पतिको देदेता है, प्रयोजन है कि बुध गुरुकी दृष्टि होती तो इत्थशाल योगसे अपनीही हाथसे स्त्रीप्राप्ति होती यहां नक्तयोग. चन्द्रमा तीसरे ग्रहते है तो स्त्रीप्राप्ति भी तीसरे किसी मध्यस्थ मनुष्य के हाथसे होगी. ऐसाही सर्वत्र जानना. यहां तेरहवें श्लोकों (शीघ्रोभागः ) के स्थान में ( शीघ्रोष्टभागैः ) ऐसा पाठहै, प्रयोजन यह है कि, चन्द्रमा ८ अंशपर होनेसे लग्नेश कार्य्यशके बीच तो न हुआ परंतु अति शीघ्र है, बुध १० अंशवालेको लाँघकर बारह अं- शवाले बृहस्पति को पहुँच सकता है, इसकारण नक्तयोग संभावना होती है, यह ताजिकांतर मतहै और यहां १० | ११ | १२ अंश इन तीनोंके उप- लक्षणार्थ लिखे हैं, दीमांशोंके भीतर किसी अंशपर कमसे हो तो नक्कयोग होजाता है, आगे बुद्धिके वलसे विचारना ॥ १२ ॥ १३ ॥ इंद्रवज्रा - अंतःस्थितोमंदगतिस्तुपश्येद्दीतांश कैद्भवथशीघ्रतस्तु ।। नीत्वामहोयच्छतिमंदगाय कार्य्यस्यसिद्ध्यैयमया प्रदिष्टः ॥ १४ ॥ १८ड १२, १२ १ २ 2 a. लग्नेश और कार्येश किसी भावों में हों उनकी परस्पर दृष्टि न हों किंतु एक शीघ्रगति एक संदगति हो और दीप्तांशोंके भीतर हो मध्यस्य स्थानग तदोनोंसे मंदगतिको ही ग्रह उक्त ग्रहको देखता हो तो ग्रहसे तेजलेकर,