पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/६४

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(५६) ताजिकनीलकण्ठी । राशिगत कर्कके १५ अंशपर शुक्रके साथ इत्थशाली है. चन्द्रमा स्वराशि ४ गत ककेके १० अंशपर बैठकर शु० सं० के साथ मुथ शिली है. इस हेतु यह उत्तमाधम कंबूल हुआ, ११, स्त्री से होगी यह फल है. यह १२ १० पचीसवें श्लोकके पूर्वार्द्धका अर्थ हुआ इसके उत्तरार्द्ध और छब्बीसवेंके पूर्वार्द्ध 'मध्यमोत्तम' इसमें मध्यमोत्तमकंवल इसप्रकारका है कि चन्द्रमा अपने द्रेष्का- ण वा अपने नवांशमें स्थितहो और लग्नेश कार्येश अपने अपने स्थानों में बैठ परस्पर इत्थशाली मध्यमकंबूलके तरह यहभी है, उदाहरण स्त्रीप्रातिप्रश्न में तुलाल लमेश शुक्र लयमें सप्तमेश मंगलमेषका मध्यमोत्तम कंचूल और चन्द्रमा मकर राशि में २२ अंश अपने नवां शपर है, शुक्र मंगलका परस्पर मुथशिल और चंद्रमा दोनहूंसे मुथरिली है, यह मध्यमोत्तम | कंबूल हुआ; फल पूर्ववत् है ॥ ५२ ॥ ८ ६ ११ उत्तमाधम कंचूल ६ १० अनु० - मध्यमोत्तममेतच्चपूर्वस्मान्नविशिष्यते ॥ स्वहद्दादिपदस्थेनकंवूलंमध्यमध्यमम् ॥ २६ ॥ भं १५% ११ मं १२ इस लोकके पूर्वार्द्धका अर्थ पूर्व २५ लोकार्थ के साथ संबंधवशसे लिख दिया है, उत्तरार्द्धसे मध्यम कंबूल इसप्रकार है कि स्वहद्दा द्रेष्काण वा नवां- शकमें स्थित लगेश वा कार्यशहो दोनहूं परस्पर मुथशिली हों और चंद्र- माभी स्वद्रेष्काण वा स्वनवांश में बैठकर इनके साथ मुथाशेली हो तो मध्यममध्यम कंबूल होता है, यहां तीनहूंकी स्वगृहस्वोचराशि छोडकर स्वहद्दादि मध्यमाधिकारोंकी आवश्यकता है. उदाहरण, स्त्रीलाभ प्रश्नमें मिथुन लग्न लग्नेश बुध धनके १८ अंशपर अपने हृद्दामें सप्तमेश बृहस्पति