पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/६५

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भाषाटीकासमेता । (५७) 2 मिथुनके १६अंशपर अपने हद्दामें और चंद्रमा मीनके मध्यम मध्यम कंचूल दूसरे द्रेष्काणमें १२ अंशपर अपने द्वादशांशपर है. यहां तीनहूंकी परस्पर स्थान दृष्टि होने से एवं मुथशिल · परस्पर होनेसे मध्य मध्यम कंधूल हुवा. स्त्री प्राप्ति अति चलसे होगी यह फल है. ॥ २६ ॥ ७ ६ १६ घृ ३ १२ अनु० - मध्यमध्यमकंवूलंहीनाधिकृतखेटजम् ॥ मध्यमाधमकंवूलं नीचारिभगखेटजम् ॥ २७ ॥ स्वगृह स्वोच्च हद्दा द्रेष्काण नवांश और शत्रु नीचाधिकार रहित अर्थात् समगृह हद्दा द्रेष्काण नवांश में से किसीमें लग्नेश कार्येश हों और चंद्रमा मध्यमाधिकार अर्थात् स्वनवांश वा स्वद्रेष्काणमें हो परस्पर इत्थशाली हो तो मध्यमसम कंवल होता है. उदाहरण, संतान प्रश्न में वृप लग्न लग्नेश शुक्र मकरके चार अंशपर सम बुधकी हद्दामें मध्यम सम कंवृल और पंचमेश बुध तुलाके पांच अंशपर सम हदामें और तुलाका चंद्रमा २ अंशपर है अपने द्रेष्काणमें है. यह मध्यमसम कंचूल हुवा. संतति ६ प्राति यत्नसे होगी. और लग्नेश काम्येश नीच वा बुइँच ·· शत्रुराशिमें परस्पर मुथशिल हों, चंद्रमा अपने द्रेष्काण वा नवांशकमें बैठकर दोनोंके साथ मुथशिली हो तो मध्यमाधम कंबूल होता है. उदाहरण, मेष लग्न लग्नेश मंगल कर्कका नीच राशिमें और भाग्याधीश, मध्यमाधम कंबूल हस्पति मकर अपने नीच राशिमं चन्द्रमा तुलाके पांच अंशपर है, मंगल बृहस्पनिके अंश मुथशिल योग्य लिखने चाहियें. जैसे यहां उदाहरण कुंडली में मंगल ९ अंश बृहस्पति १० अंश लिखाहै इनका परस्पर मुथशिल हुआ और चंद्रमा दोनहूके साथ मुथशिली अपने त्रिभागमें है. यह अधमाधम कंबुल हुवा, भाग्य प्राप्ति अतिकष्टसे होगी ॥ २७ ॥ १२ .. ११