पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/६६

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(५८) ताजिकनीलकण्ठी | अनु० - इन्दुः पदोनः स्वर्दोच्चयुतेनाप्युत्तमंतुतत् ॥ स्वहद्दादिगतेनापिपूर्ववन्मध्यमुच्यते ॥ २८ ॥ चंद्रमा अधिकाररहित होनेसे पदोन होता है. यह दोप्रकारका है, पहि- ला समग्रहके ह्रद्दा द्रेष्काण नवांशमें, और दूसरा सूक्ष्म है कि समग्रह हा द्रेष्काण नवांशोंके आदि या अंतमें संधिगत होनेमें यह दोप्रकार पदोन कहाता है, लग्नेश वा कार्येश अपनी राशि वा अपने उच्चराशिमें हों परस्पर इत्थशाली लग्नेश कार्येश हों और पदोन चंद्रमा इनसे मुथशिली हो तो समोत्तम कंबूल होता है, उदाहरण, धन लाभ प्रश्नमें तुला लग्न लग्नेश शुक्र लग्नमें (१०॥ अपने घरका धनेश मंगल अपने उच्चराशि मकरका और चंद्रमा मिथुनका समके हृद्दा में है. यहां अंश कल्पना इत्थशाल योग्य समोत्तम कंबूल १० मंट ६ ३चं शु १७ १२ करनी चाहिये. यह समोत्तम कंबूल योग हुवा. फल धनप्राति उत्तम होगी. और श्लोकोत्तरार्धसे दूसरा योग यह है कि चंद्रमा पूर्ववत् पदोन हो और लग्नेश काय्शमें से एक अथवा दोनहूं अपने हद्दा द्रेष्काण नवांशकमें हो परस्पर लग्नेश कायेशका इत्थशालहो. चंद्रमा भी इत्यशाली हो तो यह सममध्यम कंचूल होता है, उदाहरण, धनलाभ प्रश्न में तुलालन- लग्नेश शुक्र ग्यारहवां सिंहके दश अंशपर अपने हद्दामें. और धनेश दश अंशपर तीसरा और चंद्रमा मिथुनके दश अंशपर समकी हृद्दामें है, इनका परस्पर मुथशिल योग होनेसे यह समकंबूल हुवा, धनलाभ यत्नसे होगा, यह इसका फल भया ॥ २८ ॥ सम मध्यम कंचूल ६ अनुष्टु०-पदोनेनापिमध्यस्यादितियुक्तंप्रतीयते || नीचारिस्थेनेत्थशालोऽधमं कंबूलमुच्यते ॥ २९ ॥