पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/६९

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भाषाटीकासमेता । ७ प्रश्नमें वृष लग्न लग्नेश शुक्र सिंहके ६ अंशमें सूर्य एक राशिमें है, और राज्य भावेशशनि वृषके १० अंशमें और चंद्रमा नीच वृश्चिकके ३ अंशमें है सबकी परस्पर दृष्टि होनेसे इत्थशालभी है, यह अधम सम कम्बूल है, फल राज्यप्राप्ति कठिन उपायसे होगी ३० अनु० - नीचारिभस्थखेटेननीचारिभगतः शशी ॥ इत्थशालीकंबुलंतदधमाधममुच्यते ॥ ३१ ॥ अधमाधम कम्बूलका लक्षण कहते हैं कि चन्द्रमा, नीच वा शत्रु राशि में हो, और लग्नेश कार्येशभी नीच वा शत्रु राशियों में हो तो यह अधमाधम कम्बूल होता है, उदाहरण, पुत्रलाभ प्रश्नमें न लग्नेश बृहस्पति अपने नीच मकर राशिमें पुत्र भावेश मंगल अपने नीच कर्कका और चंद्रमाभी अपने नीच वृश्चिकका है, यहां अंश कल्पना इत्थशाल योग्य ११ चाहिये यहां इन तीनहूके परस्पर मुथशिल हैं, अप- १२ माधिकार होनेसे यह अधमाधम कंबूल हुवा पुत्रलाभ १ अधमाधम कं० १०बृ/ . नहीं होगा यह फल है. ऐसेही इनके शत्रु राशिगत २ ४म होने में भी निकष्टाधिकारसे यह योग है ॥ ३१ ॥ अनुष्टु० - मेषेरविः कुजेवापिवृषेक कैथवाशशी ॥ · तत्रेत्थशालात्कंबूलमुत्तमोत्तमकाय्यकृत् ॥ ३२ ॥ प्रथमं भेद उत्तमोत्तम और अंतिम भेद अधमाधम उपलक्षणार्थ पुनः : प्रकारांतर सुगमार्थ अन्योक्ति से कहते हैं कि किसी लग्नसे मेषका सूर्य्य अथवा मंगल हो और चंद्रमा उच्च वृषका वा स्वराशि कर्कका हो इनकी परस्पर दृष्टि और दीमांश इससे इत्थशाल हो तो यह उत्तमोत्तम कंबूल कार्य कर्त्ता होता है यह हेतु लग्नेश कार्येश और चंद्रमाके उत्तमाधिकार होनेका है ॥ ३२ ॥ अघमसम क ५शु६ २ श१० ८ चं ३ १२ ११ १०