पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/७४

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(६६) ताजिकनीलकण्ठी | ध्वग हो तो यह गैरिकम्बूल अशुभ फल देता है अर्थात् सुखप्राप्ति नहीं होगी इस उदाहरणमें तुलाके शनिके स्थानमें बुध जानना ॥ ४२ ॥ ॥ ४३ ॥ ४४ ॥ ६ गरिकं. ४ 2 ३ सू. ३ १० अनुष्टुप्-शून्येध्वनींदुरुभयोनेत्थशालोनवाश्रुतिः ॥ खलासरो न शुभदः कंबूलफलनाशनः ॥ ४५ ॥ चन्द्रमा शून्य मार्गमें हो और लग्नेश कार्येश के साथ इत्थशाली न हो ४ अथवा उनसे युक्तभी न हो तो यह खल्लासर कंबू- लके फलका नाशक है, यद्वा अशुभ फल देता है, खल्लासर, पारसीय खल्लासर शब्द बलवाची है, "खल्लासरयोगोदाहरण” सिंह लग लग्नेश सूर्ध्य मेष- के तीन अंशपर, पुत्र भावेश बृहस्पति कुंभके पांच अंशपर, परस्पर इनका मुथशिल है, चन्द्रमा कन्याके २० अंशमें है यह किसी के साथ इत्थशाल नहीं करता लग्नेश कार्येशसे युक्तभी नहीं है यह खल्लासर योग पुत्रप्राप्ति में बाधा करेगा यह इसका फल है ॥ ४५ ॥ १२ रथोद्धं० - अस्तनीच रिपुवक्रहीनभादुर्बलोसुथारीलंकरोतिचेत् ॥ नेतुमेपनविभुर्यतो महोते मुखेपिनसकार्य्यसाधकः ॥ ४६ ॥ रहयोगका लक्षण कहते हैं- रद्द शब्द पारसीय ( निकम्मा ) निर्बलका पर्याय है जो यह अस्त वा नीच राशिगत वा शत्रुराशिस्थ वा वक्रगतिवा ( हीनभा ) अस्त होनेवाला समीपही उदय हुवा अर्थात् बाल वा वृद्ध हो और उपलक्षणसे ( खलस्थान ) तत्काल शत्रुस्थान वा पापयुक्त वा क्रूरा- क्रांत हो यह दुर्बल कहाता है, ऐसा निस्तेज ग्रह जब किसी के साथ इत्थ- शाल करे तो आदि वा अन्तमें इत्थशालका तद्भाव जन्यफल नहीं दे सक- ता, क्योंकि यह निर्बल होनेसे न किसीका तेज आप ले सकतो न अपना तेज किसीको देसकता, इस योगका नाम रद्द योग है ॥ ४६ ॥ 1