पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/७६

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(६८) ताजिकनीलकण्ठी | निर्बली केन्द्र में कर्क के दश अंशपर नीचका मंगल और कार्येश बृहस्पति आपोक्किम बारहवें स्थान में है मंगल बृहस्पतिसे इत्थशाली है यह रद्दयोग पूर्व शुभ फल पश्चात् अशुभ फल कर्त्ता है ॥ ४७ ॥ रहोदाहरणंम्. ३१२ १० . ४ मं १० ॥ उपजाति-मंदःस्त्रभोच्चादिपदेस्थितश्चेत्पदोनशीघ्रेणकृतेत्थशालः तत्रापिकार्य्यभवतीतिवाच्यंवक्रादिनिर्वीर्यपदेन चेत्स्यात् ॥ ४८ ॥ टुप्फाली कुत्थ्योगका लक्षण कहते हैं- जब मन्दगति ग्रह अपनी नीच राशि वा उच्च वा स्वद्रेष्काण स्वहद्दा नवांशकमें हो और शीघ्रग्रह दोन अर्थात् स्वभोच्चादि शुभाधिकार रहित इत्यशाली हो तोभी कार्य्यसिद्धि कठिनसे होजायगी कहना किंतु शीघ्रग्रह अस्त नीच शत्रु वक्र और बाल- वृद्ध निर्मल स्थानस्थित होकर इत्यशाली हो तो अनिष्ट फल कहना दुष्फाली कुत्थयोग है, पारसीय दुष्फाली शब्द दुःसाध्य और कुत्थशब्द शुभ-. वाची हैं, दुष्फालीकुत्थ दुःसाध्य शुभवाचक है, उदा- हरण, सौख्य प्रश्नमें मेपलग्न लग्नेश मंगल लग्नमें ३ यह दुःफालिकुत्थ्योग. २ मेपके बारह अंशपर सुखभावेश ग्यारहवाँ कुम्भके दश अंशपर चन्द्रमा इत्यशाली है, मंगल पदयुक्त और चन्द्रमा पदहीन है, ऐसा दुप्फाली कुत्थयोग हुआ, सुखप्राप्ति यत्नसे करता है ॥ १८ ॥ 0 इंद्रव ० - वीर्य्योनितौ कार्य्यविलननाथौस्वर्क्षादिगैर्नान्यतरोयुनक्ति ॥ अन्यौयदाद्वौबलिनौतदान्यसाहाय्यतःकार्यमुशंतिसंतः ॥ ४९ ॥ दुत्थोत्यदिवीरयोगका लक्षण कहते हैं- लग्नेश फार्मेश दोनहूं बल- हीन ( अस्त नीच रिपुवकहीनभा ) इत्यादिसे हों परस्पर इत्थशालीभी हों और इनमेंसे शीघ्रग्रह अपनेसे मन्दगतिवाले किसी अन्य तीसरे स्वक्षदि बलयुक्त ग्रहसे युक्त हो, विशेषतः मुथशिलीभी हो तो अन्यद्वारा कार्ग्य- मं१२ १२.१ १२ 2 "" चं१० 99 १०.