पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/७७

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भाषाटीकासमेता । (६९): S सिद्धि होगी, अथवा अन्य कोई स्वर्शादि पदयुक्त दो ग्रह शीघ्रगति हों और लग्नेश वा कार्येश हीनबलीसे युक्त हो वा मुथशिल करें तोभी किसी औरकी सहायता का सिद्ध होगा. यह सज्जनोक्तिहै, "उदाहरण " स्त्रीलाभ प्रश्नमें सिंहलग्न लग्नेश सूर्ध्य नीचराशि तुला, कार्येश सप्तम भावका स्वामी शनि नीच राशि मेषका है, अथवा राश्यंतरमें वक्री है. तात्पर्य्य यह है कि दोनहूं निर्बलहैं इनमेंसे शनि मंगलसे युक्त है यह स्वगृही होनेसे बलवान् है, लग्नेश कार्येशके निर्बल होनेसे कार्ग्यसिद्धि नहीं होनीथी. परंतु बलवान् मंगल तीसरे ग्रहसेभी युक्त होनेसे दूसरेके सहायत दुत्थोत्थदिवीरयोग. 9 ७ र ११ स्त्रीप्राप्ति होगी कहना. १ अथवा दो शीघ्र ग्रह सूर्य्य मंगल मेषमें ४ { | अपने २ उच्च स्वगृह होनेसे बलवान् हुये शनिके. साथ दोनहूँके इत्थशाल करनेसे योग होजा- ताहै पूर्वोकही फल देता है. यहां अंश कल्पना ११ सुमुथशिल योग्य करनी. इस योगका नाम १२ दुत्थोत्थदिवीर. पारसीय शब्दहै ॥ ४९ ॥ १० अनु० - बलीराश्यंतगोन्यर्क्षगामीदीप्तांशकैर्महः ॥ दत्तेन्यस्मैकार्य्यक रस्तंबीरोलग्नकार्य्ययोः ॥ ५० ॥ तंबीरयोगके लक्षण कहते हैं. जब लग्नेश कार्येश किसी स्थानोंमें हों इनका परस्पर इत्थशाल न हो परंतु इनमें से कोई राश्यंतगत हो और जिस राशिको गंतव्यहै उसमेंसे कोई अन्यग्रह बलवान् और इत्थशाल संबंधि अंशोंपर हो. वस्तुतः इसके साथ वह भविष्य इत्थशालकारी हो तो वह तीसरेको तेज देता है यह तंबीरयोग हुवा. फल इसका कार्य साधक है.