पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/८६

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(७८) ताजिकनीलकण्ठी | प्रथम संज्ञा प्रकरण में आचार्य्यने स्वनाम गुणादि प्रकट किये वही इस दूसरे प्रकरणमें भी जानना इतना विशेष है कि षोडशयोग हर्षस्थान इस दूसरे प्रकरणमें कहें ॥६१ ॥ इति महीधरकृतायां ताजिकनीलकंठीभाषायां ग्रह स्वरूपदृष्टिषोडशयोगहर्षस्थानविवरणनामाध्यायः ॥ इन्द्रवज्राछन्दः– पुण्यंगुरुर्ज्ञानयशोथमित्रंमाहात्म्यमाशाच समर्थताच ॥ भ्राताततोगौरवरा जतातमातासुतोजीवितमंबु G कर्म ॥ १ ॥ ( वसंतति ० ) मांद्यंच मन्मथकलीपरतःक्षमोक्रूं शास्त्रंसबंधु सहमंत्वथबंदकंच ॥ मृत्योश्च सद्मपरदेशधनान्यदा- स्यादन्यकर्मस वणिक्त्वथकार्य्यसिद्धिः ॥ २ ॥ ( अनु० ) उद्वाह सूतिसंतापाः श्रद्धाप्रीतिर्बलंतनुः ॥ जाड्यव्यापारसहमे पानीयपतनंरिपुः ॥ ३ ॥ अनुष्टुप् ०-शौर्योपायदरिद्रत्वंगुरुताजलकर्मच ॥ . बंधनं दुहिताश्वश्चपंचाशत्सहमानिहि ॥ ४ ॥ अब सहम विचार कहते हैं ( सहम ) पारशीय पद सभवाची हैं. यह समर सिंहमतसे ४८ और यवनादियों के मतसे ५० हैं कोई अधिकभी कहते हैं यहां ५० के नाम कहे जाते हैं कि पुण्य १ गुरु २ ज्ञान ३ या ४ मित्र ५ माहात्म्य ६ आशा ७ समर्थता ८ भाता ९ गौरव १० राजा ११तात १२ माता १३ सुत १४ जीवित १५ जल १६ कर्म १७ मांय १८ कामदेव १९ कलह २० क्षमा २१ शास्त्र २२ बन्धु २३ बंदक २४ मृत्यु २५परदेश २६ न २७ अन्यदारा २८ अन्यकर्म २९ वणिक ३० कासिद्धि ३१ विवाह ३२ प्रसूति ३३ संताप ३४ श्रद्धा ३५ प्रीति ३६ बल ३७ तनु ३८ जाड्य ३९ व्यापार ४ ० पानीयपतन ४१ शत्रु४ २शौर्य ४३उपाय ४४ दरिद्र ४५ गुरुता ४६जलकर्म४ ७बन्धन ४८ दुहिता ४९ अश्व५० ये तो आचाग्य कथितहैं और इनमें परदेशही मार्ग विवाहही स्त्री ज्ञानही विद्या सहम जानना और आचार्ग्य मतसे सहम औरभी हैं कि भार्ग्या ५१ मोक्ष ५२ वसु ५३पितृव्य ५४क्लेश ५५ गमागम ५६ गज ५७ सन्मति ५८ घात ५९ कोष्ट ६० चतुष्पद ६१ व्यसन ६२ कृषि ६३ दृष्टि ६४ आखेट ६५ ●