पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/९१

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( ८३ ) भाषाटीकासमेता । उपजा॰—गुरोर्बुधंप्रोज्यभवेत्प्रसूतिर्वांमंनिशींदुंशनितोविशोध्य ॥ पष्टंक्षिपेदुक्तदिशासदैव संतापसझार मपास्यशुक्रात् ॥ १८ ॥ दिनको बृहस्पतिमें बुध रात्रिको बुधमें बृहस्पति घटायके लग्न जोडना प्रसूतिसहम होता है ३३ दिनरात्रि शनिमें चन्द्रमा घटायके रिपुभाव जोडना संतापसहम ३४ होताहै ॥ १८ ॥ उ० जा० - श्रद्धासदाप्रोक्तदिशाथपुण्यविद्याख्यतः प्रोज्झ्यसदापुरोक्त्या प्रीत्यारख्यमुक्तंवलदेहसंज्ञेयशःसमेजाडयमपास्यभौमात् ॥ १९ ॥ दिनरात्रि शुक्रमें मंगल घटायके लग्न जोडना श्रद्धासहम ३५ होता है, दिनको रात्रिकोभी विद्यासहममें पुण्यसहम घटायके लग्न जोडना प्रीतिसहम ३६ होता है, बलसहम ३७ और देहसहम ३८ यशसहमके तुल्य जानने और दिनको मंगलमें तथा शनि रात्रि में विपरीत करके बुध जोडना जाड्य ३९ सहम होगा ॥ १९ ॥

उपजा ० - शनिविलोमंनिशिचांद्रयोगाद्वयापारमाराज्ज्ञमपास्यशश्वत् ॥

पानीयपातः शशिनंविशोध्यसैौरेर्विलो मंनिशिपूर्ववत्स्यात् ॥ २० ॥ दिनरात्रि भौममें बुध घटायके लग्न जोडदेना व्यापारसहम ४० होताहै दिनको शनिमें चन्द्रमा रात्रिको चन्द्रमामें शनेि घटायके लग्न जोडना पानीय- पतनसहम ४१ होताहै ॥ २० ॥ उपजा० - मन्दंकुजात्प्रोज्ज्ञ्य रिपुर्विलोमंरात्रौ भवेद्भौमविहीनपुण्यात् ॥ शौर्य्यविलोमंनि शिपूर्ववत्स्यादुपायईज्यंशनितोविशोध्य ॥ २१ ॥ दिनको मंगलमें शनि रात्रिको शनिमें मंगल घटायके लग्न जोडना शत्रु ४२ सहम होता है, दिनको पुण्यसहममें मंगल रात्रिको मंगलमें पुण्यसहम घटायके लग्न जोडना शौर्यसहम ४३ होता है, दिनको शनिमें बृहस्पति रात्रिको बृहस्पतिमें शनि घटायके लग्न जोडना, उपायसहम ४ ४ होताहै२१ ॥