पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/९२

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(८४ ) ताजिकनीलकण्ठी | उपजा० - चामंनिशिज्ञंतुविशोध्य पुण्याज्जयुग्विलोमंनिशितहरिद्रम् || सूर्योच्चतः सूर्यमपास्यनक्तं चन्द्रंतदुच्चारुतापुरोक्त्या ॥ २२ ॥ · दिनको पुण्यसहममें बुध घटायके बुथ जोड़ना रात्रिको बुधमें पुण्यसहम घटायके बुध जोड़ना तो दारिद्र्यसहम ४५ होता है, दिनको सूके उच्च । १० में सूर्य्य घटायके लग्न जोड़ना, रात्रिको चन्द्रमाके उच्च १ | ३ में चन्द्रमा घटायके लग्न जोड़ना गुरुसहम ४६ होता है, शेपकर्म शोध्यक्षैत्यादिसे संस्कार सर्वत्रही देखना चाहिये || २२ ॥ अनु० - कर्कार्द्धतः शनिप्रोज्झ्यस्याज्जलाध्वान्यथानिशि ॥ पुण्याच्छनिविशोध्याह्नवामंनिशितुबंधनम् ॥ २३ ॥ दिनको कर्क आधा ३ । १५ में शनि घटायके रात्रिको विपरीत करके लग्न जोड़ना जलमार्गसहम ४७ होता है, दिनको पुण्यसहममें शनि और रात्रिको शनिमें पुण्यसहम घटायके बंधन ४८ सहम होता है ॥ २३ ॥ सं० १ २ ज्ञान | यशच ना० पुण्य गुरु विद्या लवपु दिवा लग्झ मित्र गुरु चंद्रे खो खो जावे सहम ऋण रवि चंद्र चंद्र पु. स. पु. स. भौम tė ३ ल. धन ल. धन शुक्र | ल. रा. ल. खो चंद्रे चंद्रे पुण्ये पुण्ये भौमे सहमसारणी । ५ Is is Is माहा त्म्य Iš ॠ. चंद्र रवि रवि जीवे गु. स. पु. स. शुक्र ल. पु. स. to 9 ८ ९ आशा समर्थ भ्रातृ गौरव शनौ भामे जीवे जीवे शुक्र तनुप: शनि चंद्र ल. खो शुक्रे अ , गुरो शनि भोम |शनि रवि ल. ल.