पृष्ठम्:धम्मपद (पाली-संस्कृतम्-हिन्दी).djvu/७

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तिपिटक (=त्रिपिटक ) अधिकांशतः भगवान् बुद्धकै उपदेशो संग्रह है। त्रिपिटका अथै है, तीन पिटारी । यह तीन पिटक हैं सुत्त (=पुत्र ), विनय और अभिधम्म (=अभिधर्छ )। १. सुत्तपिटक निम्नलिखित पाँच निकायोंमें विभक है १. दोघ-निकाय ३७ सुत (=पुरू या सुरु ) २ मज्झिस-नि. १५२ खुल ५६ संयुक्त ४ अंगुल-नि. १३ निपात ३. संयुष-नेि ५, खुष्क-नि, १५ अर्थ खुद्दकनिकायके १५ ग्रंथ यह हैं (१) खुद्दकपाठ ( ९ ) येरीगाथा ( २) धम्मपद (१०) बातक (५५० कथायें ) (३) उदान ( ११ ) निख ( - महा-) (७) इतिखुलक ( ३२ ) पटिसमयमा (५ ) सुत्तनिपात ( १३ ) अपन ( ६ ) विमानवत्थु ( १४ ) क्षुबवंस ( = )