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भाषाटीकास०-अ० ११. (९५) खश बाह्विक वंग ( बंगाला ) इन देशोंमें नक्षत्रोंके क्रमसे सक्रांतिका वाहन जानना और अन्यदेशमें वद आदिकरणोंके क्रमसे संक्रांतिका वाहन होताहै ॥ ७ ॥ भृशुंडीभिंर्दिपालासिदंडकोदंडतोमरान् । कुंतपाशांकुशास्त्रेषून्बिभर्ति करणेष्घिनः ॥ ८ ॥ भृगुंडी सिंदिपाल खङ्ग दंड धनुष तोमर जाला फास अंकुश अस्त्र (तेगा )वाण ये शत्र बव आदि करणोंके क्रमसे, संक्रातिके कहे हैं ॥ ८ ॥ अन्नं च पायसं भैक्ष्यमपूपं च पयो दधि ॥ चित्रान्नं गुडमध्वाज्यशर्करा ववतो हविः ॥ ९ ॥ और अन्न पायस क्षाि पूड़ा दूध दही चित्रान्न गुड मधु घृत शर्करा ये संक्रांतिके भोजन, वय आदिकरणोंके यथाक्रमसे जानने चाहियें ॥ ९ ॥ निविष्टी वणिजे विष्टयां बालवे च गरे ववे । कौलशकुने भानुः किंस्तुघ्ने चोर्ध्वसंस्थिता ।। १० ।। और वणिज विष्टि बालव गर वव इन करणे में संक्रांति अर्कें तो बैठी जानना, कौलव शकुनि किंस्तुघ्न इनमें खडी जानना ।। १० ॥ चतुष्पात्तैतिले नागें सुप्तक्रांतिं करोति सा । धान्यार्घवृष्टिसु भवेदनिष्टक्रमशस्तदा ॥ ११ ॥ चतुष्पाद तैतिल नाग इनमें अर्कें तो सूती हुई संक्रांति जानना बैठी हुई संक्रांतिमें अन्न सस्ता खडीमें वर्षा ओर सूतीमें अशुभ फल जानना ॥ ११ ॥ •