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भाषाटीकास०-अ० १५. (११३ ) सुशीला सुप्रजा चान्या पतिभक्ता दृढव्रता ॥ गृहार्चनरता नित्यं धातुभे प्रथमार्तवा ॥ ६ ॥ सुंदरस्वभाववाली, सुन्दरसन्तानवाली, पतिमें भक्तिरखनेवाली, दृढनियमवाली, हमेशं गृहपूजनमें तत्पर यह फल रोहिणी नक्षत्रमें प्रथमरजस्वला हो तब जानना ॥ ६ ॥ गुणान्विता धर्मरता नारी सर्वंसहा सती । पतिप्रिया सुपुत्रा या चंद्रभे प्रथमार्तवा ॥ ७॥ गुणयुक्त, धर्ममें तत्पर, सब कुछ सहनेवाली, पतिव्रता, पतिसे प्यार रखनेवाली, अच्छे पुत्रोंवाली यह फल मृगशिर नक्षत्रमें प्रथम रजस्वला होवे तब होता है ॥ ७ । कुलटा दुभगा दुष्टा मृतपुत्रा खला जडा ॥ दुष्टव्रतपरिभ्रष्टा रौद्रभे प्रथमार्तवा ॥ ८॥ व्यभिचारिणी, दुर्भगा, दुष्टा, मृतवत्सा, क्ररा, मूर्खा, दुष्ट आ- चरणवाली, परिभष्ट, यह फल आर्द्रा नक्षत्रमें प्रथमरजस्वला होनेका है ।। ८ ।। पतिभक्ता पुत्रवती परसंतानमोदिनी ॥ कलाचारानुरक्ता या दितिभे प्रथमार्तवा ॥ ९ ॥ पतिमें भक्ति रखनेवाली, पुत्रवती, पराई संतानको भी आनंद देनेवाली, सबकलाओंवाली, प्रियहितमें रहनेवाली यह फल पुनर्वसु नक्षत्रमें प्रथम रजस्वला होनेका है ॥ ९ ॥