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N१ भाषाटीकास०-अ० १५. ( ११५ ) संतानवाली, धर्ममें तत्पर, वैररहित, सम्बधीमित्रजनोंसे पूजित, पतिव्रत, प्यार हितवालेके घरमें आसक्त यह फल प्रथम उत्तराफा- ल्गुनीमें रजस्वला होनेका है ॥ १४ ॥ निर्दे्वेष्या भूरिविभवा पुत्राढ्या भोगभोगिनी ॥ प्रधाना दानकुशला हस्तक्षें प्रथमार्तवा ॥ १४॥ । वैररहित, बहुत ऐश्वर्यवाली, पुत्रोंवाली, भोगोको भोगनेवाली, मुख्य, दानकरनेमें निपुण, ऐसी स्त्री प्रथम हस्तनक्षत्रमें रजस्वला होनेवाली होती है । १५ ॥ चित्रकर्मा भोगिनी च कुशला क्रयविक्रये ॥ विकीर्णकामा सुल्लक्ष्णा त्वाष्ट्रभे प्रथमार्तवा ॥ १३६ ॥ विचित्र काम करनेवाली, भोग भागनेवाली, खरीदने बेचनेके व्यवहारमें चतुर, विस्तृत कामवाली, सुंदर चतुर ऐसी स्त्री चित्रा नक्षत्रमें प्रथम रजस्वला होनेसे होती है ॥ १६ ॥ बहुवित्तवती न स्यात्कुशला शिल्पकर्मणि । पुत्रपौत्रवती साध्वी वायुभे प्रथमार्तवा ॥ १७ ॥ स्वाति नक्षत्रमें प्रथम रजस्वला होय तो बहुत धनवाली नहीं हो • और शिल्पकर्ममें चतुर पुत्र पौत्रोंवाली तथा पतिव्रता होती है ।। १७ ।। । नीचकर्मरता दुष्टा परसक्ता परप्रिया । विपुत्रा मलिना क्रुद्धा द्विदैवे प्रथमार्तवा ॥ १८॥ नीचकर्ममें रत, दुष्टा, परसक्ता, परप्रिया, पुत्ररहित, मलिनी, क्रोधिनी एेसी विशाखा नक्षत्रमें जाननी ॥ १८ ॥