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A 6 (८) नारदसंहिता । वर्ण वा भरा वर्णकी किरण बादलोंसे नीचेको मुख करके दीखें तो राजाका नाश हो ॥ १५ ॥ उदयास्तमये काले स्वास्थ्यं तैः पांडुसन्निभैः । भास्करस्ताम्रसंकाशः शिशिरे कापिलोऽपिवा ॥ १६ ॥ उदय तथा अस्त समय कछु 'कपिलाई सहित सफेद स्वच्छ किरण हो और तांबा सरीखा लालवर्ण अथवा कपिलाईवर्ण सूर्य हो तो शिशिर ऋतुमें अच्छा कहा है ॥ १६ ॥ कुंकुमाभो वसंतर्तौ कापिलो वापि शस्यते ॥ अपांडुरः स्वर्णवर्णो ग्रीष्मे चित्रो जलागमे ॥ १७ ॥ वसंतऋतुमें केशर सरीखा लालवर्ण वा कपिलवर्ण अच्छाहै और ग्रीष्म ( गरमी ) ऋतुमें लालवर्ण सोनासरीखै और वर्षाऋतुमें विचित्रवर्ण अच्छ कहा है ॥ १७ ॥ पद्मोदराभः शरदि हेमंते लोहितच्छविः । हेमंते प्रावृषि ग्रीष्मे रोगाणां वृष्टिभीतिकृत् ॥ १८ ॥ शरदऋतुमें कमलके मध्य भाग सरीखा हेमंतमें लालवर्ण अच्छा है और वर्षा तथा ग्रीष्म वा हेमंत ऋतुमें लालवर्ण हो तो रोग होवे वर्षा नहीं हो ॥ १८ ॥ पीताभः कृष्णवर्णोपि लोहितस्तु यथाक्रमात् । इन्द्रचापार्धमूर्तिश्चैद्भानुर्भूपविरोधकृत् ॥ १९॥ और पीला वर्ण काला वर्ण फिर लाल ऐसे क्रमसे तीन रंगोंवाला इंद्र धनुष होवे तथा सूर्यमें ये रंग देख पड़े तो राजाओंका युद्ध होवे ॥ १९ ॥