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भाषाटीकास ०-अ० २७. (१४३ ) तीसरे, पांचवें, सातवें, ग्यारहवें तथ दशवें स्थानपर चंद्रमा हो और बृहस्पतिकरके दृष्ट हो तो स्त्री पुरुषका संबंध ( मेल ) करता है । ८॥ । तुलागो कर्कटे लग्ने संस्थाः शुक्रेंदुसंयुताः ॥ वीक्षिताः स्त्रीग्रहा नृणां कन्यालाभो भवेत्तदा ।। ९ ॥ प्रश्नसमय तुला, वृष, कर्क, लग्नमें स्त्रीग्रह स्थित होवें और शुक्र चंद्रमासे युक्त होवें तो तथा दृष्ट होवें तो मनुष्योंको कन्याका लाभ जरूर कहना | ९ || शुक्रेंदू युग्मराशिस्थौ युग्मांशकगतौ तदा ॥ बलिनौ पश्यतो लग्नं कन्यालाभो भवेत्तदा ॥ १० ॥ प्रश्नसमय शुक्र और चंद्रमा युग्मराशिपर स्थित होवें अथवा युग्मराशीके नवशकपर स्थित बली होकर लग्नको देखते होवें तो वरको कन्याका लाभ कहना ।। १० । । अयुग्मशशिरौ चेतौ शुक्रेंदू बलिनौ तथा ॥ पश्यतो लग्नमेतौ चेद्वरलाभो भवेत्तदा ॥ ११ ॥ जो वे दोनों चद्रमा शुक्र बली होकर लग्नको देखतेहों और विषम राशिपर स्थित होवें तो कन्याको अच्छे वरका लाभ कहना ।। ११ ।। एवं स्त्रीणां भर्तृलब्धिः पुंग्रहैरवलोकिते ॥ कृष्णपक्षे प्रश्नलग्नाद्युग्मराशौ शशी यदि । पापदृष्टेथ वा रंध्रे न संबंधो भवेत्तदा ॥ १२॥