पृष्ठम्:नारदसंहिता.pdf/१५२

एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति

भाषाटीकास ०--अ० २८, (१४५) आभूषण, पुष्प, तांबूल, फल, गंध, अक्षत, श्वेतवस्त्र इन्होंसे युक्त हो गीतवाजा आदि मंगळ तथा ब्राह्मणोंके आशीर्वादोंसे युक्त कन्याके घरमें उत्सव ‘कर कन्याका पिता वरण करें तब पीछे तिस कन्याका पिता प्रीतिपूर्वकं कन्याका प्रदान (वाग्दान ) करें ॥ २ ॥ ३ ॥ कुलशीलवयोरूपवित्तविद्ययायुताय च॥ वराय रूपसंपन्नां कन्यां दद्याद्यवीयसीम् ॥ ४ ॥ कुल, शील, अवस्था, रूप, धन, विद्या इन्होंसे युक्त वरके वांस्ते वरसे छोटी उमरवाली सुरूपवती कन्याको देवे ।। ४ ॥ संपूज्य प्रार्थयित्वा तां शचीं देवीं गुणाश्रयाम् ॥ त्रैलोक्यसुंदरीं दिव्यां गंधमाल्यांबरावृताम् ॥६॥ गुणोंकी आधाररूपं, इंद्राणी देवीको पूजाकर तिसकी प्रार्थना कर त्रैलोक्य सुंदरी, दिव्य गंध मालाओंवाली सुंदरवस्त्रोंको धारण किये हुए ॥ ५ ॥ सर्वलक्षणसंयुक्तां सर्वाभरणभूषिताम् ॥ अनर्घ्यमणिमालाभिर्भासयंतींं दिगंतरान् ॥ ६ ॥ संपूण लक्षणोंसे युक्त, संपूर्ण आभूषणोंसे विभूषित, बहुत उत्तम मणियोंकी मालओंसे दिशाओंको प्रकाशित करती हुईं । ६ ॥ विलासिनीसहस्राद्येः सेव्यमानामहर्निशम् ॥ एवंविधांं कुमारीं तां पूजांते प्रार्थयेदिति ॥ ७ ॥ हजारों स्त्रियोंसे सेवित ऐसी कुमारी इंद्राणी देवीको पूजिके अंतमें ऐसी प्रार्थना करें । ७ ॥ १०