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भाषाटीकास -अ० २. (९) ' + मयूरपत्रसंकाशो द्वादशाब्दं न वर्षति ॥ शशरक्तनिभे भानौ संग्रामो ह्यचिराद्भवेत् ॥ २० ॥ मोरकी पंख सरीखा सूर्यका वर्ण दीख पड़े तो बारहवर्ष तक वर्षा नहीं हो शशाके रक्त समान लालवर्ण होवे तो शीघ ही युद्धहो २० चंद्रस्य सदृशो यत्र चान्यं राजानमादिशेत् । अर्के श्यामे कीटभयं भस्माभे शस्त्रतो भयम् ॥ २१ ॥ चंद्रमाके समान वर्ण होवे तो अन्य राजाका राज्यहो कला वर्ण होय तो प्रजामें कीट सर्पादिकका भयहो भस्मसरीखा वर्ण होय तो शस्त्रभय ( युद्ध ) होवे ॥ २१ ॥ छिद्रेऽर्कमंडले दृष्टे तदा राजविनाशनम् ॥ घटाकृतिः क्षुद्भयकृत्पुरहा तोरणाकृतिः ॥ २२॥ सूर्यमंडलमें छिद्र दीख पड़े तो राजाओंका नाश हो घडा सरीखा आकार दीख जाय तो दुर्भिक्ष भय हो, तोरणकी आकृति दीखे तो शहर (नगर ) जंगहो ॥ २२ ॥ छत्राकृतिर्देशहंता खंडभानुर्नृपांतकृत् ॥ उदयास्तमये भानोर्विद्युदुल्काशनिर्यदि ॥ २३ ॥ छत्र सरीखा आकार होय तो देश नष्टहो खंडित सूर्य हो तो राजा नष्ट होवे सूर्य अस्त होते समय अथवा उदय होते समय कोई तारा टूटे अथवा बिजली गिरे तो ॥ २३ ॥ तदा नृपवधो ज्ञेयस्त्वथवाँ राजविग्रहः ॥ पक्षी पक्षार्द्धमर्केन्दु परिविष्टावहर्निशम् ॥ २४॥ राजा नष्ट हो अथवा राज्य विग्रह हो पंदरह दिनतक अथ वा सात दिनतक सूर्य चंद्रमाके दिनरात निरंतर मंडल रहे त॥२४॥