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भाषाटीकास ०-अ० ३३ . (२०९ } मूर्खोंको भी प्रश्नोदय निमित्तआदिकोंसे ही फलको उदय होता है ॥ २ ॥ षष्टयष्टमी द्वादशी च रिक्तामा पूर्णिमासु च । यात्रा शुक्लप्रतिपदि निधनायाधनाय च ॥ ३ ॥ षष्ठी, अष्टमी, द्वादशी, रिक्तातिथि, अमावस्या, पूर्णिमा, शुक्लपक्षकी प्रतिपदा इन्होंने यात्रा करनी मृत्युके बास्ते और निर्धनता के वास्ते की है । ३ । पौष्णेर्कंद्वश्विमित्राग्निहरितिष्यव सूडुषु । नव सप्त पंचायेषु यात्राभीष्टफलप्रदा ॥ ९ ॥ रेवती, हस्त, मृगशिर, अश्विनी, अनुराधा, कृत्तिका, श्रवण पुष्य, धनिष्ठा इन नक्षत्रोंमें यात्रा करना शुभ है नवमां, पांचवाँ सातवां, ग्यारहवां चंद्रमा शुभ है । । ४ ।। न मंन्देऽन्दुदिने प्राचीं न व्रजेद्दक्षिणां गुरौ ॥ सितार्कयोर्न प्रतीचीं नोदीचीं ज्ञारयोर्दिने ॥९॥ सोम तथा शनिवारको पूर्वदिशामें गमन नहीं करना, बृहस्पति वारको दक्षिणमें गमन नहीं करना, शुक्र तथा रविवारको पश्चिमको गमन नहीं करता, बुध और मंगलवारको उत्तर दिशामें गमन नहीं करना ।। ५ इन्द्रोजपादचतुरास्यार्यमर्क्षाणि पूर्वतः । शूलानि सर्वद्वाराणि मैत्रार्केज्याश्विभानि च ॥ ६ ॥ 4A १४